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किसानों को लाभ कमाने का गुर सिखा रही किसान प्रो, बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों में दी जा रही ट्रेनिंग

देश में खेती-बाड़ी के काम जुटे लाखों किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उसकी ओर से योजना चलाई जा रही है.

Kisan Pro : देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से ही देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद से ही लोगों की आमदनी पर गहरा प्रभाव पड़ा है. ऐसे में किसानों को होने वाली आमदनी भी अछूती नहीं रही है. कोरोना काल में किसान प्रो नामक कंपनी भारत के किसानों को सीधे बाजार से जोड़कर आमदनी बढ़ाने का गुर सिखा रही है. इसके लिए कंपनी की ओर से बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों के किसानों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है, ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

दुबई की कंपनी के साथ समझौता

कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, देश में खेती-बाड़ी के काम जुटे लाखों किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उसकी ओर से योजना चलाई जा रही है. इसके तहत कंपनी की ओर से किसानों को खेती-बाड़ी की आधुनिक जानकारी प्रदान करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसके साथ ही, उन्हें बाजार से लाभ कमाने के गुर भी सिखाए जा रहे हैं. किसानों को उनकी कड़ी मेहनत का फायदा दिलाने के लिए कंपनी ने दुबई की कंपनी बरकत वेजिटेबल्स एंड फ्रूट लिमिटेड से समझौता भी किया है.

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देश-विदेश में कहीं भी बेच सकेंगे कृषि उत्पाद

कंपनी के अनुसार, किसानप्रो और दुबई की कंपनी बरकत के बीच हुए समझौते के तहत किसान अपने खेत से सीधे देशभर में स्थित गोदामों, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मध्य पूर्व के देशों में कृषि उत्पादों की आपूर्ति करने में सक्षम हो जाएंगे. इससे बीच की मुनाफाखोरी रुकेगी और किसानों को पहले से अधिक आर्थिक लाभ होगा. नए कृषि कानून आने के बाद किसान अपनी मर्जी से मंडी के बाहर भी कहीं भी अपने कृषि उत्पाद को बेच सकते हैं.

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राज्यों में विकसित की जा रही फूड गैलरी

किसानप्रो के सह-संस्थापक और सीईओ रविंद्र दासौंधी ने कहा कि किसानप्रो और दुबई के बरकत वेजीटेबल्स एंड फ्रूट कंपनी के बीच हुए समझौते से किसानों को पहले से अधिक लाभ मिलेगा. हम एक टीम के रूप में विभिन्न देशों के प्रमुख शहरों से हमारे देश के राज्यों के बीच फूड गैलरी को विकसित कर रहे हैं. आज हमने एक कदम और बढ़ाया है. मुझे यकीन है कि हमारे इस प्रयास से किसानों को फायदा होगा. सही जानकारी और डेटा साझा करने के साथ ही मांग आधारित फसल योजना बनाने में मदद मिलेगी.

सप्लाई चेन के जरिए ताजा प्रोडक्ट का होगा विदेश निर्यात

कंपनी के सीईओ रवींद्र दासौंधी ने यह भी कहा कि यूएई स्थित बरकत कंपनी 30 से अधिक देशों से ताजा प्रोडक्ट का आयात करती है. भारत से निर्यात किए जाने वाले ताजा प्रोडक्ट का हिस्सा अब भी केवल 4 फीसदी है, जबकि यूएई की आबादी में 38 फीसदी से अधिक संख्या भारतीयों की है. हमें अब पूर्ण भरोसा है कि इस समझौते के बाद हम यूएई को अधिक निर्यात करने में सक्षम होंगे. हम इसे सही सप्लाई चेन स्थापित करके सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम सर्वोत्तम कृषि-प्रथाओं और बेहतर गुणवत्ता के साथ वैज्ञानिक रूप से उगाए गए उत्पादों की पेशकश करते हैं, जो अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों के गुणवत्ता मानकों को पार करते हैं. यह किसानों की सफलता की कुंजी है.

कृषि क्षेत्र में पैदा होंगे रोजगार के अवसर

रविंद्र दासौंधी ने कहा कि हमारे खेतों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से सीधे जोड़ना उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिन पर हम काम कर रहे हैं. ऐसे कई दूसरे समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा, कंपनी फार्म गेट के करीब मूल्यवर्धन बुनियादी ढांचे में भी निवेश करती है, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे. किसानप्रो ने पहले भारत के कृषि क्षेत्र की समस्याएं , मार्केटिंग को लेकर जो दिक्कत है, उस सबका अध्ययन कर चुकी है. खेती में प्रौद्योगिकी ने भारत को खाद्य सुरक्षा हासिल करने में मदद की है, लेकिन सप्लाई चेन में आधुनिकीकरण और कृषि मार्केटिंग के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग समय की आवश्यकता है.

कमीशनखोरी पर लगेगी लगाम

उन्होंने बताया कि भारत में मजबूत कृषि बाजारों की कई सीमाएं हैं. उनमें से एक किसानों की बाजारों तक पहुंच है, क्योंकि ये बाजार अक्सर गांवों से बहुत दूर स्थित होते हैं. इस सीमा के कारण कमीशन एजेंटों और बिचौलियों का मॉडल फला-फूला. उत्पादकों या किसानों के लिए एक छोटा हिस्सा छोड़कर ये बिचौलिए लाभ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं. उनके इस प्रयास से बिचौलियों और मुनाफाखोरों की कमीशनखोरी पर लगाम लगेगी.

पांच लाख से अधिक किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास

दासौंधी ने कहा कि किसान प्रो बीते 3 साल में 5,00,000 से अधिक किसानों की आय में दोगुना करने के लिए एक मिशन पर काम कर रहा है. एग्री-टेक कंपनी किसानों को एक पूर्ण स्टैक समाधान प्रदान करती है, जहां एक योग्य कृषि विज्ञानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एग्रोनॉमी टूल की मदद से पूर्ण फसल सलाह प्रदान करता है और इसका उद्देश्य उपज को बढ़ाना है.

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