जानिए, अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के प्रभाव से उबारने के लिए आरबीआई ने कब-कब उठाए बड़े कदम…

रिजर्व बैंक ने देश में 30 जनवरी को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद से ही नीतिगत मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा की है.

By Agency | May 22, 2020 9:16 PM

मुंबई : रिजर्व बैंक ने देश में 30 जनवरी को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद से ही नीतिगत मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा की है. देश के केंद्रीय बैंक ने कोरोना वायरास महामारी और उसकी रोकथाम के लिए जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए नीतिगत दर में बड़ी कटौती के लिए तय कार्यक्रम से पहले मौद्रिक नीति समिति की बैठक करने से लेकर कर्जदारों को कर्ज की किस्त लौटाने से राहत देने समेत बाजार में नकदी बढ़ाने के कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. आइए, जानते हैं कि फरवरी से लेकर अब तक रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के प्रभावों से उबारने के लिए कब-कब से बड़े कदम उठाए हैं….

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6 फरवरी : चीन में कोरोना वायरस महामारी का जिक्र किया और कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कच्चे तेल के दाम में नरमी और शेयर बाजारों में गिरावट का दौर आएगा.

3 मार्च : रिजर्व बैंक ने बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच कोरोना वायरस महामारी पर बयान दिया. उसने कहा कि वह चीजों पर नजर रखे हुए है और उपयुक्त कदम उठाने को तैयार है.

6 मार्च : गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का माकूल जवाब देने में सक्षम होगा, जिन भी उपायों की जरूरत होगी, आरबीआई कदम उठाने को तैयार.

16 मार्च : विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिये जाने के बाद बैंकों को पत्र लिखकर परिचालन और कारोबार जारी रखने के उपाय सुनिश्चित करने को कहा. वित्तीय प्रणाली के सुचारू तरीक से क्रियान्वयन के लिए आरबीआई के 150 अधिकारियों की टीम का गठन.

27 मार्च : महामारी के मद्देनजर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद रेपो दर में 0.75 फीसदी की कटौती की घोषणा की, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत कटौती, एक लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के लिए लंबी अवधि के रेपो परिचालन (एलटीआरओ) समेत अन्य कदम उठाने का ऐलान. यह बैठक तय कार्यक्रम से एक सप्ताह पहले हुई. कर्जदाताओं को राहत देते हुए सभी प्रकार के कर्ज भुगतान पर 31 मई तक की मोहलत.

3 अप्रैल : मुद्रा बाजार में दैनिक कारोबारी समय कम कर सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक किया.

17 अप्रैल : रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती समेत अन्य कदम उठाये. नाबार्ड, सिडबी और राष्ट्रीय आवास बैंक के लिए 50,000 करोड़ रुपये की विशेष वित्त सुविधा. 50,000 करोड़ रुपये के लक्षित एलटीआरओ और कर्ज लौटाने के लिए दी गयी 90 दिन की मोहलत को अलग करने के लिसे एनपीए (गैर-निष्पादित परिसपंत्ति) वर्गीकरण में बदलाव किया.

27 अप्रैल : म्यूचुअल फंड के लिए 50,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी सुविधा.

22 मई : एमपीसी की दूसरी बैठक में रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती. यह बैठक भी निर्धारित समय से पहले हुई. कर्जदारों को राहत देते हुए कर्ज लौटाने के लिए और तीन महीने यानी 31 अगस्त तक की मोहलत मिली.

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