LIC IPO Updates : देश में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) शेयर बाजार में 4 मई को लॉन्च किया जाएगा. इसमें निवेश करने के लिए एलआईसी आईपीओ का सब्सक्रिप्शन 4 से 9 मई तक किया जा सकता है. इस बीच, खबर यह भी है कि न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानंदडों में छूट पाने के लिए वित्त मंत्रालय बाजार विनियामक सेबी के साथ चर्चा करेगा.
एलआईसी में 22.13 करोड़ से अधिक शेयर बेच रही सरकार
सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड के तहत एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्यांकन वाली सूचीबद्ध कंपनियों के पास सूचीबद्ध होने के पांच साल के भीतर कम से कम 25 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी होनी चाहिए. सरकार ने पिछले साल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को इस नियम से छूट दी थी. सरकार एलआईसी में 22.13 करोड़ से अधिक शेयर बेच रही है, जिसके लिए कीमत दायरा 902-949 रुपये है. आईपीओ 4 मई को खुलेगा और 9 मई को बंद होगा. एलआईसी के शेयर 17 मई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होंगे. सरकार को एलआईसी के आईपीओ से लगभग 21,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है.
हिस्सेदारी बिक्री कम करना सरकार को पड़ रहा भारी
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों के अनुसार, एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्यांकन वाली कंपनियों को आईपीओ में न्यूनतम 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचना जरूरी है. हालांकि, एलआईसी को इस नियम से छूट दी गई है. इस मामले में तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि हमें 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की छूट पाने के लिए सेबी के साथ विशेष व्यवस्था करनी पड़ी. इसकी वजह यह है कि एक बहुत बड़ा कॉरपोरेशन इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था. हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यह पूंजी बाजार को कैसे प्रभावित करता है. वहीं, वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा कि नई कंपनियों का निहित मूल्य कम होता है और उनके पास वृद्धि की बड़ी क्षमता होती है.
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एक साल तक हिस्सेदारी कम नहीं करेगी सरकार
एलआईसी के आईपीओ से निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को ने कहा कि सरकार शेयर सूचीबद्ध होने के एक साल तक एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी कम नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि एलआईसी जैसी बहुत बड़ी कंपनी के लिए हमें न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड पर सेबी और आर्थिक मामलों के विभाग के साथ चर्चा करनी होगी. हम जानते हैं कि यह आसान नहीं है. इस समय 5 फीसदी भी बाजार को स्वीकार्य नहीं होगा.
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