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लिस्टेड कंपनियों को अलग-अलग एक्सचेंजों में नहीं करनी पड़ेगी फाइलिंग, सेबी चीफ ने कही ये बात

SEBI: सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने एक्सचेंज में एक ही फाइलिंग बहुत जल्द वास्तविकता बन जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बदलावों के तहत एक एक्सचेंज को दी गई जानकारी (फाइलिंग) ऑटोमैटिकली दूसरे एक्सचेंज पर साझा हो जाएगी.

SEBI: शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों को अब किसी प्रकार की जानकारी या खुलासे संबंधी दस्तावेज अलग-अलग एक्सचेंजों को नहीं देना पड़ेगा. किसी भी एक एक्सचेंज पर दी गई जानकारी ऑटोमैटिकली अपलोड हो जाएगी. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने सोमवार को कहा कि किसी लिस्टेड कंपनी की ओर से एक शेयर बाजार में किया गया खुलासा या जानकारी ऑटोमैटिकली दूसरे एक्सचेंज पर अपलोड हो जाएगी. यह कदम सेबी की ओर से हाल ही में लिस्टेड कंपनियों द्वारा खुलासे के साथ-साथ सूचीबद्धता जरूरतों में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव दिए जाने के बाद उठाया गया है. यह प्रस्ताव सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य एसके मोहंती की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है.

सिर्फ 250 रुपये में एसआईपी के जरिए हो सकेगा निवेश

सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि एक्सचेंज में एक ही फाइलिंग बहुत जल्द वास्तविकता बन जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बदलावों के तहत एक एक्सचेंज को दी गई जानकारी (फाइलिंग) ऑटोमैटिकली दूसरे एक्सचेंज पर साझा हो जाएगी. इसके अलावा बुच ने कहा कि निवेशक जल्द ही 250 रुपये महीने से व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) में निवेश शुरू कर सकेंगे.

सेबी का रीट पर टिप्पणी से इनकार

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी इकाइयों के सरलीकरण के नियम मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि यदि मैं रीट पर एक शब्द भी कहूंगी, तो मुझपर हितों के टकराव का आरोप लगा दिया जाएगा. बुच ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब अमेरिकी निवेश एवं शोध कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में उनके और निजी इक्विटी क्षेत्र की कंपनी ब्लैकस्टोन से जुड़े संभावित हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए हैं.

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में सेबी चीफ पर लगा था आरोप

अमेरिकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले महीने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी फंडों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं, जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. इसके अलावा, हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि रीट विनियम 2014 में सेबी के हालिया संशोधनों से एक विशिष्ट वित्तीय ग्रुप को लाभ पहुंचा है. हालांकि, सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है.

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Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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