मुंबई : अगर आप लोन की मासिक किस्त (ईएमआई) का भुगतान करते हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है और वह यह कि फिलहाल अप्रैल महीने तक लोन की ईएमआई सस्ता होने की उम्मीद होने की संभावना नहीं है. इसकी वजह यह बताई जा रही है कि आगामी सात फरवरी से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक आयोजित होने जा रही है. यह बैठक तीन दिन तक चलने की संभावना है. विशेषज्ञों की मानें तो एमपीसी की इस बैठक में भी आरबीआई रेपो रेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करने जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो फिलहाल लोन की ईएमआई सस्ता होने की उम्मीद न के बराबर है.
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने अनुमान जाहिर किया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले सप्ताह होने वाली मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं करेगा. ब्रोकरेज कंपनी ने कहा है कि आरबीआई वृद्धि केंद्रित तथा पूंजीगत व्यय संचालित राजकोषीय विस्तार की दिशा में आगे बढ़ेगा. हालांकि, ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि इसके चलते कीमतों में बढ़ोतरी और बाद में ब्याज दरों का जोखिम पैदा हो सकता है.
वहीं, ब्रिटेन की एक ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने अनुमान जाहिर किया है कि आरबीआई की एमपीसी अतिरिक्त नकदी को सोखने के लिए रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है. हालांकि, रेपो रेट (जिस पर केंद्रीय बैंक उधार देता है) में यथास्थिति बनी रह सकती है. बार्कलेज के विश्लेषकों ने अगले सप्ताह होने वाली एमपीसी की बैठक से पहले कहा कि ओमिक्रॉन के प्रकोप और अपेक्षाकृत अनुकूल मुद्रास्फीति के बीच रिजर्व बैंक के पास वृद्धि समर्थक मौद्रिक नीति को बनाए रखने के लिए गुंजाइश है.
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आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगले सोमवार से विचार-विमर्श शुरू करेगी और बुधवार (नौ फरवरी) को नीतिगत कदमों की घोषणा करेगी. दुनिया के लगभग सभी प्रमुख केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहे हैं. भारत में मई 2020 के बाद से प्रमुख रेपो दर चार फीसदी पर है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है. बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद के बावजूद आरबीआई धीरे-धीरे मौद्रिक नीति को सामान्य स्तर पर लाने का रास्ता अपनाएगा.
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