Loan Moratorium News Updates : केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि रिजर्व बैंक की ऋण स्थगन योजना (Loan Moratorium Scheme) के दौरान दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों से लिये गए चक्रवृद्धि ब्याज और सामान्य ब्याज के अंतर की रकम ऋणदाता (बैंकों) 5 नवंबर तक उनके खातों में जमा कर देंगे. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि कर्जदारों के खातों में यह रकम जमा करने के बाद ऋणदाता केंद्र सरकार से इस राशि के भुगतान का दावा करेंगे.
सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि मंत्रालय ने एक योजना जारी की है, जिसके अनुसार ऋण देने वाली वित्तीय संस्थाएं कोविड-19 के कारण 6 महीने की ऋण स्थगन (Loan Moratorium) की अवधि के दौरान की यह राशि कर्जदारों के खातों में जमा करेंगी.
पहले कर्जदारों के खातों में जमा होगी ब्याज की रकम
हलफनामे में कहा गया है कि इस योजना के तहत सभी कर्ज देने वाली संस्थाएं एक मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 के बीच की अवधि के लिए सभी पात्र कजदारों के खातों में चक्रवृद्धि और सामान्य ब्याज के अंतर की रकम जमा करेंगे. हलफनामे के मुताबिक, केन्द्र सरकार ने निर्देश दिया है कि योजना के उपबंध 3 में वर्णित कर्ज देने वाली सभी संस्थाएं इसे लागू करें और योजना के अनुसार सभी संबंधित कर्जदारों के लिए गणना की गयी राशि उनके खातों में जमा करें.
काफी विचार-विमर्श के बाद किया गया फैसला
केंद्र सरकार ने ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज की राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज वसूले जाने सहित रिजर्व बैंक के 27 मार्च और 23 मई 2020 के सर्कुलर से संबंधित अनेक मुद्दों को लेकर दायर की गयी याचिकाओं में यह हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा गया है कि बहुत सावधानी से विचार के बाद पूरी वित्तीय स्थिति, कर्जदारों की स्थिति, अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव और ऐसे ही दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है.
सरकार के हाथ में है आम आदमी की दिवाली
न्यायालय ने 14 अक्टूबर को केंद्र से कहा था कि रिजर्व बैंक की ऋण स्थगन योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों के लिए ब्याज माफी पर उसे जल्द से जल्द अमल करना चाहिए, क्योंकि आम आदमी की दिवाली उसके ही हाथ में है. शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर केंद्र से जानना चाहा कि क्या ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्जदारों के दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफी का लाभ आम आदमी तक पहुंचेगा.
ब्याज माफी पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था सवाल
न्यायालय ने कहा था कि उसकी चिंता इस बात को लेकर है कि ब्याज माफी का लाभ कर्जदारों को कैसे दिया जाएगा. न्यायालय ने कहा था कि केंद्र ने आम आदमी की स्थिति को ध्यान में रखते हुये ‘स्वागत योग्य निर्णय’ लिया है, लेकिन इस संबंध में प्राधिकारियों ने अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने रखी थी ये दलील
इससे पहले, केंद्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि 6 महीने के लिए ऋण की किस्त स्थगन सुविधा लेने वाले दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों के चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का फैसला किया गया है. रिजर्व बैंक ने भी 10 अक्टूबर को न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा था कि 6 महीने की अवधि से आगे किस्त स्थगन (EMI Moratorium ) को बढ़ाने से ‘‘समग्र ऋण अनुशासन के खत्म होने” की स्थिति बन सकती है और इस वजह से अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
Posted By : Vishwat Sen
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