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Loan Moratorium: कोरोना संकट में फंसे लोगों को क्या ब्याज पर ब्याज से मिलेगी राहत? SC में सुनवाई

Loan Moratorium: लोन मोराटोरियम मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूबर तक केंद्र से नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. तीन जजों के बेच ने यह सुनवाई की थी जिसकी अध्यक्षता अशोक भूषण ने की थी. साथ ही बैंको से कहा गया था कि वो अभी एनपीए घोषित नहीं करें.

लोन मोराटोरियम मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूबर तक केंद्र से नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. तीन जजों के बेच ने यह सुनवाई की थी जिसकी अध्यक्षता अशोक भूषण ने की थी. साथ ही बैंको से कहा गया था कि वो अभी एनपीए घोषित नहीं करें.

हालांकि केंद्र सरकार ने इससे पहले भी लोन मोराटोरियम से संबंधित हलफनामा दाखिल किया था. पर कोर्ट ने कहा था कि हलफनामा संतोषजनक नहीं है. अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि दो करोड़ रुपये तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज माफ किया जाये. पर इसपर कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ब्याज में जो राहत देने की बात कर रही है उसमें आरबीआई की ओर से किसी प्रकार का दिशा निर्देश नहीं दिया गया था.

आरबीआई ने दायर किया हलफनामा

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया है जिसमें आरबीआई की ओर से कहा गया है जो सेक्टर्स कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित है उन्हें अधिक राहत देना संभव नहीं है.

आरबीआई ने जतायी यह चिंता

हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कहा गया है कि यदि 2 करोड़ तक के ऋण के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने का काम किया जा सकता है…इसके अलावा कोई और राहत देने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र को नुकसान पहुंचेगा. छह महीने से अधिक मोरेटोरियम कर्ज लेने वालों के क्रेडिट व्यवहार पर भी इसका असर पड़ सकता है. यही नहीं इससे निर्धारित भुगतानों को फिर से चालू करने में देरी हो सकती है जिससे अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर असर पडेगा.

केंद्र ने कोर्ट से मांगा था समय

वहीं केंद्र ने पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट से समय मांगा था. केंद्र ने पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के सामने कोरोना महामारी के मद्देनजर लोन की किस्त टालने की अवधि के दौरान बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने पर दो से तीन दिन में फैसला होने की संभावना जताई थी. अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा था.

कर्ज माफी के लिए तैयार थी सरकार

केंद्र सरकार ने 3 सितंबर की सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मोराटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है. ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है. इस ब्याज पर ब्याज माफी में एमएसएमई, शिक्षा, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, कारोबार और उपभोग के लिए लिये गए कर्ज शामिल होंगे.

Posted By: Pawan Singh

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