वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने वित्त वर्ष 2022 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी (LPG Cylinder Subsidy) को घटा दिया है जिसका असर आम आदमी पर पड़ेगा. जी हां…मंत्रालय ने पेट्रोलियम सब्सिडी को कम करके 12,995 करोड़ रुपये कर दिया है. यहां चर्चा कर दें कि सब्सिडी बजट में यह कटौती ऐसे समय में की गई है जब सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत एक करोड़ लाभार्थियों को जोड़ने की भी बात की है. दरअसल, सरकार को यह उम्मीद है कि एलपीजी सिलेंडर (LPG Cylinder) की कीमतों में बढ़ोतरी करने के बाद उस पर सब्सिडी का बोझ कम हो जाएगा.
इस संबंध में अंग्रेजी वेबसाइट मिंट ने खबर दी है जिसमें उसने रिपोर्ट में सरकारी अधिकारी का हवाला दिया है. रिपोर्ट की मानें तो सरकार सब्सिडी को खत्म करने की दिशा में अग्रसर है. यही वजह है कि केरोसिन तेल और एलपीजी के दाम में लगातार बढोतरी नजर आ रही है. यह अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम बढ़ने के साथ-साथ पेट्रोलियम उत्पादों के दाम भी बढ़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि, कुकिंग गैस का सीधा संबंध कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी से नहीं है. पिछले साल भी कुकिंग गैस के दाम में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली थी. आने वाले साल भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिलने के आसार हैं. यहां चर्चा कर दें कि खुदरा ईंधन विक्रेता ही एलपीजी सिलेंडर्स के दाम को रिवाइज करने का काम करते हैं. खास तौर पर यह एलपीजी के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क और डॉलर के मुकाबले रुपये के एक्सचेंज रेट पर डिपेंड करता है.
गौर हो कि 1 जनवरी 2015 से पेट्रोल-डीज़ल के भाव को रोज रिवाइज करने का काम किया जाता है. ऐसा करने से सरकार पर पेट्रोलियम सब्सिडी को लेकर वित्तीय बोझ कम करने में सहायता मिली है. वर्तमान में यह केरोसिन और एलपीजी को लेकर ही है. अभी सरकार एलपीजी के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सीधे लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी की राशी भेजने का काम करती है. वहीं दूसरी ओर केरोसिन को पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के माध्यम से रियायती दर पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है.
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