Coronavirus Vaccine : लुपिन ने कोरोना वायरस का इलाज के लिए बाजार में उतारा ‘कोविहाल्ट’, जानिए क्या है दाम…
कोविहाल्ट में दवा की मात्रा को प्रशासन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. उसने कहा कि यह दवा 200 मिलीग्राम की गोली के रूप में 10 गोलियों की स्ट्रिप के रूप में उपलब्ध होगी. प्रत्येक गोली का दाम 49 रुपये रखा गया है. लुपिन के भारत क्षेत्रीय फॉर्म्यूलेशन (आईआरएफ) के अध्यक्ष राजीव सिब्बल ने कहा कि कंपनी को तपेदिक जैसे तेजी से फैलने वाले संक्रमण रोगों को व्यवस्थित करने के क्षेत्र में जो अनुभव है, उसका लाभ वह उठा सकेगी.
नयी दिल्ली : दवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लुपिन ने बुधवार को कोविड-19 के हल्के और कम गंभीर रोगियों के इलाज के लिए दवा फेविपिराविर को ‘कोविहाल्ट’ ब्रांड नाम के साथ बाजार में उतारा है. इसकी एक गोली का मूल्य 49 रुपये रखा गया है. लुपिन ने शेयर बाजारों को भेजी नियामकीय जानकारी में कहा है कि फेविपिराविर को आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक से अनुमति मिल गयी है.
इसमें कहा गया है कि कोविहाल्ट में दवा की मात्रा को प्रशासन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. उसने कहा कि यह दवा 200 मिलीग्राम की गोली के रूप में 10 गोलियों की स्ट्रिप के रूप में उपलब्ध होगी. प्रत्येक गोली का दाम 49 रुपये रखा गया है. लुपिन के भारत क्षेत्रीय फॉर्म्यूलेशन (आईआरएफ) के अध्यक्ष राजीव सिब्बल ने कहा कि कंपनी को तपेदिक जैसे तेजी से फैलने वाले संक्रमण रोगों को व्यवस्थित करने के क्षेत्र में जो अनुभव है, उसका लाभ वह उठा सकेगी.
उन्होंने कहा कि वह अपने मजबूत वितरण नेटवर्क और मैदानी क्षेत्र में काम करने वाले कार्यबल के बलबूते देशभर में कोविहाल्ट की पहुंच सुनिश्चित कर सकेगी. इससे पहले सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज ने भी फेविपिराविर को ‘फ्ल्यूगार्ड’ ब्रांड नाम के तहत बाजार में उतारा है. उसने अपनी एक गोली की कीमत 35 रुपये रखी है.
इसके साथ ही, एक अन्य दवा कंपनी जायडस केडिला ने बुधवार को कहा कि उसके प्रस्तावित कोविड-19 के टीके ‘जायकोव-डी’ के पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो गया है और अब कंपनी 6 अगस्त से इसके दूसरे चरण का लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू करेगी. कंपनी ने कहा है कि पहले चरण के ट्रायल में जायकोव-डी को सुरक्षित और सहनीय पाया गया. कंपनी अब 6 अगस्त 2020 से दूसरे चरण का ट्रायल शुरू करेगी.
जायडस केडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने कहा कि पहले चरण में दी गयी दवा में जायकोव-डी को सुरक्षित पाना महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसे हासिल किया गया. उन्होंने कहा कि पहले चरण में जिन लोगों पर भी क्लीनिकल ट्रायल किया गया, उनकी दवा देने के 24 घंटे तक चिकित्सा यूनिट में पूरी तरह देखभाल की गयी. उसके बाद सात दिन तक उनकी निगरानी की गयी, जिसमें टीके को पूरी तरह सुरक्षित पाया गया.
उन्होंने कहा कि अब हम दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं और बड़ी जनसंख्या में इस दवा से होने वाले बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की इसकी ताकत का मूल्यांकन किया जाएगा. जायडस केडिला को पिछले महीने उसके कोविड-19 के उपचार के लिए तैयार टीके के ह्यूमैन ट्रायल की घरेलू प्राधिकरण से अनुमति मिली थी.
देश दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच यह दूसरी भारतीय दवा कंपनी है, जिसे सरकार की तरफ से परीक्षण की अनुमति मिली है. इससे पहले भारत के पहली कोविड-19 टीके ‘कोवाक्सिन’ के परीक्षण की अनुमति भारत बायोटेक को दी गयी. भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर कोरोना वायरस के इलाज में संभावित रूप से काम आने वाले इस टीके को तैयार किया है.
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Posted By : Vishwat Sen
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