मनमोहन सिंह ने जब कमाई के पैसे को पीएम रिलीफ फंड में करा दिया था डिपॉजिट
Manmohan Singh: आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं रहे. उनकी याद में उनके साथ या उनके करीब रहने वाले बेहद करीबी लोग अपने-अपने किस्से बता रहे हैं. इन्हीं किस्सों में से एक किस्सा उनकी देशभक्ति और उदारता है, जब 1991 में रुपये के अवमूल्यन से हुए लाभ को सरकार को दान कर दिया था.
हाईलाइट्स
Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की देशभक्ति और उदारता अपने आप में एक मिसाल है. गुरुवार की रात उनके निधन के बाद उनके करीबी उनके साथ बिताए पल को बताकर उन्हें याद कर रहे हैं. यह उनकी उदारता का ही उदाहरण है कि 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने रुपये का डीवैल्यूएशन करने का फैसला किया था. इससे विदेशी बैंक के अकाउंट में डिपॉजिट मनमोहन सिंह के पैसे बढ़ गए. उन्होंने ये पैसे तब जमा कराए थे, जब वे विदेश में काम करते थे. रुपये का डीवैल्यूएशन होने के बाद जब उन्हें फायदा हुआ, तो उन्होंने उस अमाउंट को पीएम रिलीफ फंड में डिपॉजिट करा दिया था. यह बात उस समय पीवी नरसिम्हा राव के प्राइवेट सेक्रेटरी रह चुके रामू दामोदरन ने मनमोहन सिंह की देशभक्ति और उदारता को याद करते हुए बताई है.
रुपये के डीवैल्यूएशन से मनमोहन सिंह को हुआ था फायदा
पीवी नरसिम्हा राव के प्राइवेट सेक्रेटरी रामू दामोदरन ने मीडिया को बताया, ”1991 में सरकार ने जब रुपये का डीवैल्यूएशन किया, तो उस समय मनमोहन सिंह देश के फाइनेंस मिनिस्टर थे. उनके पास एक विदेशी बैंक का अकाउंट भी था. इस अकाउंट में विदेश में काम करने के दौरान सैलरी के तौर मिले पैसे जमा थे. सरकार की ओर से जुलाई, 1991 में इंडियन करेंसी का डीवैल्यूशन किया गया, तो विदेश बैंक अकाउंट में डिपॉजिट उनका पैसा रुपये की वैल्यू बढ़ने के साथ ही बढ़ गया. इससे उन्हें बेनिफिट मिला. बेनिफिट के तौर पर मिले पैसे को मनमोहन सिंह ने पीएम रिलीफ फंड में डिपॉजट करके सरकार को दान कर दिया था.”
पीएम के प्राइवेट सेक्रेटरी को दिया था बड़े अमाउंट का चेक
रामू दामोदरन ने उस घटना को याद करते हुए कहा, ”रुपये के डीवैल्यूशन के फैसले के तुरंत बाद मनमोहन सिंह पीएमओ (प्राइम मिनिस्टर ऑफिस) गए थे. वह अपनी कार से सीधे पीएम के कमरे में चले गए, लेकिन बाहर निकलते समय उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया.” समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान रामू दामोदरन ने कहा, ”शायद रुपये के डीवैल्यूएशन के कुछ दिन बाद वह एक बैठक के लिए आए थे. बाहर निकलते समय उन्होंने मुझे एक छोटा लिफाफा दिया और मुझसे इसे पीएम रिलीफ फंड में डिपॉजिट करने के लिए कहा. उस लिफाफे में बड़े अमाउंट का चेक था.” उन्होंने कहा, ”मुझे याद नहीं है कि चेक में कितना अमाउंट लिखा हुआ था. मनमोहन सिंह ने अपनी इच्छा से ऐसा किया.”
1991 में सरकार ने रुपये में दो डीवैल्यूएशन की थी
यूनाइटेड नेशन में ‘यूनिवर्सिटी ऑफ पीस’ के स्थायी ऑब्जर्वर के रूप में तैनात रामू दामोदरन ने कहा, ”जब मनमोहन सिंह विदेश में काम करते थे, तो उनका एक विदेशी बैंक अकाउंट था. मनमोहन सिंह ने 1987 से 1990 के बीच जिनेवा हेडक्वार्टर वाले एक स्वतंत्र आर्थिक शोध संस्थान साउथ कमीशन के महासचिव के रूप में कार्य किया था. वे 1991 में बनी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. उस सरकार ने रुपये में 9% और 11% के दो डीवैल्यूएशन किए थे. यह फैसला वित्तीय संकट को टालने के लिए किया गया था. डीवैल्यूएशन का मतलब अमेरिकी डॉलर या किसी दूसरी फॉरेन करेंसी और फॉरेन असेट्स को रुपये में बदलने पर अधिक प्राइस मिलेगा.”
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मनमोहन सिंह ने अपने दान का नहीं किया था प्रचार
साल 1991 से 1994 तक पीएमओ में पदस्थापित आईएफएस अफसर रामू दामोदरन ने कहा, ”मनमोहन सिंह ने विदेशी बैंक अकाउंट में हुए बेनिफिट को पीएम रिलीफ फंड में डिपॉजिट कराने को समझदारी भरा कदम समझा. उन्होंने इसका प्रचार नहीं किया. बस, चुपचाप डिपॉजिट कर दिया. मुझे यकीन है कि उन्होंने बाद में पीएम नरसिम्हाराव को इसके बारे में बताया होगा, लेकिन उन्होंने कभी इस बारे में कोई बड़ी बात नहीं की.”
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