Bdget 2023 : मल्टीनेशनल कंपनियों पर लग सकता है मिनिमम कॉर्पोरेट टैक्स

टैक्स मामलों के जानकार अभिषेक गोयल के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एमएनई द्वारा किए गए भारत में व्यापार संचालन के लिए ग्लोबल एंटीबेस इरोजन नियमों को लागू करने की संभावना नहीं है, क्योंकि भारत में प्रभावी टैक्स की रेट निर्धारित दर से कहीं अधिक है.

By KumarVishwat Sen | January 31, 2023 9:24 PM
an image

मुंबई : एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में सरकार न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स लगाने का प्रावधान कर सकती है. इसके लिए सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बजट में 137 सदस्य देशों (भारत सहित) की ओर से सहमत ‘पिलर 2’ समाधान की शुरुआत के लिए एक रोड मैप पेश किए जाने की संभावना जाहिर की जा रही है, जो ओईसीडी के समावेशी ढांचे और जी20 का एक हिस्सा माना जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि ग्लोबल एंटीबेस इरोजन नियमों में डिजिटल अर्थव्यवस्था में कराधान के मुद्दे से निपटने के लिए दो स्तंभ शामिल किए गए हैं. स्तंभ दो में बड़े बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) पर 15 फीसदी के वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स लगाने की व्यवस्था दी गई है. इस नियम के तहत बहुराष्ट्रीय उद्यमों को उन प्रत्येक देश में उत्पन्न होने वाले निर्धारित आय पर कॉरपोरेट टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, जहां पर वे काम करते हैं.

भारत में GloBE नियमों को लागू करना आसान नहीं

टैक्स मामलों के जानकार अभिषेक गोयल के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एमएनई द्वारा किए गए भारत में व्यापार संचालन के लिए ग्लोबल एंटीबेस इरोजन नियमों को लागू करने की संभावना नहीं है, क्योंकि भारत में प्रभावी टैक्स की रेट निर्धारित दर से कहीं अधिक है. फिर भी एक छूट ग्लोबल एंटीबेस इरोजन (GloBE) नियमों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी और विनियमित क्षेत्रों के लिए पर्याप्त लेआउट तैयार करना होगा.

GloBE के स्तंभ दो के तीन सिद्धांत

रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) से आने वाले महीनों में केवल एक कार्यान्वयन की रूपरेखा जारी करने की उम्मीद है. बजट में आईटी अधिनियम में विशिष्ट संशोधन करना संभव नहीं है, क्योंकि इसका एक व्यापक संदर्भ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि GloBE के स्तंभ दो मूलत: तीन सिद्धांतों पर आधारित है. इसमें पहला, आय समावेशन नियम (आईआईआर), कर रहित भुगतान नियम (यूटीपीआर) और कर नियम (एसटीटीआर) आदि शामिल हैं. इसमें भी यूटीपीआर के अनुसार, दोनों को देशों द्वारा अपने घरेलू कर कानूनों में संशोधन करके लागू किया जाना है. वहीं, एसटीटीआर कर संधि ढांचे के अंतर्गत आता है, जिसे बहुपक्षीय उपकरणों द्वारा कवर किए जाने की संभावना है.

Also Read: IMF ने कहा, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से भारत में होने वाले निवेश होगा सुधार
टैक्स कटौती का समर्थन नहीं करता यूटीपीआर

बीएसआर एंड कंपनी में कॉरपोरेट और अंतरराष्ट्रीय टैक्स पार्टनर मौलिक मेहता ने कहा कि आईआईआर में कुछ विदेशी सहायक कंपनियों की कम टैक्स वाली आमदनी के संबंध में अपने देश में अंतिम मूल इकाई पर एक अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान है. वहीं, यूटीपीआर एक बैकस्टॉप के रूप में काम करता है, यह टैक्स कटौती का समर्थन नहीं करता है या आईआईआर के तहत एकत्र नहीं किए गए टॉपअप टैक्स की सीमा तक समूह संस्थाओं के लिए समायोजन प्रदान करता है. अंत में एसटीटीआर स्रोत देश को कुछ भुगतानों पर टैक्स रोकने की अनुमति देता है, यदि ऐसे भुगतान प्राप्तकर्ता के अधिकार क्षेत्र में 9 फीसदी से कम टैक्स के अधीन है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version