Rural Development Ministry/MNREGA: अकसर आपने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) का जिक्र होते सुना होगा. इस बार ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर इस बाबत कुछ याद दिलाया है. दरअसल, पत्र में राज्यों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत पैसा रिलीज करने के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित संकेतकों के अनुपालन को दर्शाने वाली कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है.
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जिन पांच संकेतकों का राज्यों को पालन करने के लिए कहा गया है. उनमें सोशल ऑडिट, लोकपाल, नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम, एरिया ऑफिसर मॉनिटरिंग विजिट ऐप और व्हाट्सएप ग्रुप ऑफ जीपीएस शामिल है.
इस संबंध में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा है कि मनरेगा फंड के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत है. इसके लिए लाये गये संकेतकों के अनुपालन का आकलन अक्टूबर में किया जाएगा. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस कदम से राज्यों के साथ तकरार हो सकती है, क्योंकि कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अभी भी संकेतकों का पालन नहीं किया है.
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यहां आपको याद दिला दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जुलाई के महीने में केंद्र की मोदी सरकार पर मनरेगा के फंड को रोकने का आरोप लगाया था. उस वक्त केंद्र की ओर से कहा गया था कि राज्यों को फंड जारी करने के लिए मानकों का पालन करने की जरूरत है.
ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि मैंने राज्यों को पत्र लिखा है जिसमें मैंने कहा है कि हमारे पास धन की कोई कमी नहीं है. हमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जरूरत है. कोई वित्तीय अनियमितता नहीं होनी चाहिए. हम अक्टूबर में की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट देखेंगे और अनुपालन का आकलन करके आगे काम करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि मैंने राज्यों से मनरेगा में अधिक पारदर्शिता लाने पर जोर दिया है. इसके लिए हमें कुछ संकेतकों का पालन करने की जरूरत है. जैसे कि आयुक्तों का दौरा, वास्तविक समय उपस्थिति, एक सक्रिय लोकपाल, सामाजिक लेखा परीक्षा, एक राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी.
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