Mobile Tariff Hike news updates : एक जमाना था, जब भारत में फीचर मोबाइल फोन पर इनकमिंग कॉल सुनने के लिए भी उपभोक्ताओं को 3.50 रुपये का भुगतान करना पड़ता था और आउटगोइंग कॉल की रेट का तो खैर मत पूछिए. निजी सेल्यूलर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों का मनमाना दाम था. तब मॉडर्न लोग मोबाइल के साथ ‘पेजर’ भी रखा करते थे, ताकि इमरजेंसी कॉल का मैसेज ‘पेजर’ पर आ जाए और वे फिर किसी सरकारी टेलीफोन बूथ से फलाने नंबर पर कॉल करके जानकारी हासिल कर सकें.
आज की डेट में सरकार की ओर से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की मांग करने के बाद मोबाइल कंपनियों ने फ्री आउटगोइंग कॉल और डेटा को लेकर तेवर दिखाना शुरू कर दिया है, उससे तो यही लगता है कि क्या अब इस 5जी के जमाने में देश के लोगों को सैकड़ों रुपये देकर प्लान खरीदने के बावजूद आउटगोइंग कॉल और डेटा यूज का भी पैसा देना होगा?
क्या है सेल्यूलर कंपनियों का प्लान
देश की सेल्यूलर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को जब से सरकार ने एजीआर का भुगतान करने को लेकर शिकंजा कसा है, तभी वे मोबाइल यूजर्स की जेब कतरने की तरकीब निकालने में जुटी हुई हैं. खबर यह है कि ये सेल्यूलर प्रोवाइडर कंपनियां साल 2021 से मोबाइल यूजर्स का बिल बढ़ाने की फिराक में लगी हुई हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश की सेल्यूलर सर्विस प्रोवाइडर क्षेत्र की तीन दिग्गज कंपनियां (वोडाफोन-आइडिया, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल) अगले साल से कीमत में बढ़ोतरी का ऐलान किसी भी समय कर सकती हैं.
पहले वोडाफोन-आइडिया बढ़ाएगी दाम
मीडिया की खबरों के अनुसार, मोबाइल प्लान की कीमत सबसे पहले ब्रिटेन की सेल्यूलर कंपनी वोडाफोन की भारतीय अनुषंगी वोडाफोन-आइडिया ही ऐलान करेगी, क्योंकि उस पर सरकार ने पहले से ही 22,000 करोड़ रुपये के बकाया टैक्स का दावा ठोक रखा है. जब सरकार ने सेल्यूलर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों से एजीआर की डिमांड की, तो ब्रिटेन की इस कंपनी ने भारत से बोरिया-बिस्तर समेटने तक की चेतावनी दी थी. दूसरे नंबर पर, रिलायंस जियो का नंबर पर आता है और तीसरे नंबर पर भारती एयरटेल है, जो बढ़ी हुई कीमतों का ऐलान कर सकती है.
तीनों कंपनियों ने ट्राई से दाम बढ़ाने की लगातार कर रहीं दरख्वास्त
आपको यह भी बता दें कि ये तीनों ही कंपनियां भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से फ्लोर प्राइस की घोषणा करने का अनुरोध करती आ रही हैं. फ्लोर प्राइस किसी सर्विस की वह कीमत होती है, जिससे कम पर उसे नहीं दिया जा सकता. फिलहाल, टेलीकॉम कंपनियों ने ही कम कीमत के प्लान्स पर मोबाइल यूजर्स को फ्री कॉलिंग और डेटा की सुविधा हुई है.
न्यूनतम लो प्राइस का क्या है मतलब?
न्यूनतम फ्लोर प्राइस निर्धारित करने का सीधा मतलब है कि शायद अगले साल से आपको फ्री कॉलिंग और सस्ता डेटा ना मिले. कंपनियां चाहती हैं कि उनका एवरेज रेवेन्यू पर यूजर बढ़कर कम से कम 300 प्रति महीना हो जाए. वोडाफोन-आइडिया मार्च में कीमत बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है. आईसीआईसीआई सिक्यॉरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ हाइक से भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के एवरेज रेवेन्यू में वित्त वर्ष 2022 में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.
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Posted By : Vishwat Sen
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