Loading election data...

Model Tenancy Act: क्या है किराएदारी कानून? केंद्र की मंजूरी के बाद भी केवल 4 राज्यों ने अपनाया, जानें क्यों

Model Tenancy Act: जून 2021 के बाद से मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे लागू करने के लिए पांच बार पत्र लिखा गया है. इसके बाद भी, अभी तक केवल असम, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश द्वारा इसे अपनाया गया है.

By Madhuresh Narayan | October 2, 2023 3:55 PM

Model Tenancy Act: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में प्रसार के लिए मॉडल किरायेदारी अधिनियम (MTA) को मंजूरी दिए जाने के दो साल से अधिक समय बाद और आवास और शहरी मंत्रालय (MoHUA) के रिमाइंडर के बावजूद, केवल चार राज्यों ने इस कानून को अपनाया है. 24 अगस्त को, मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर उन्हें मॉडल अधिनियम के लाभों की याद दिलाई और उनसे कानून बनाने या इसके आधार पर मौजूदा किरायेदारी कानून में संशोधन करने के लिए कदम उठाने को कहा. पत्र के अनुसार, जून 2021 के बाद से मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे लागू करने के लिए पांच बार पत्र लिखा गया है. पत्र में मॉडल किरायेदारी अधिनियम कानून की जानकारी दी गयी है. इसके लाभ के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. इसके बाद भी, अभी तक केवल असम, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश द्वारा इसे अपनाया गया है.

2021 में असम और उत्तर प्रदेश बने कानून

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने अंतिम एमटीए को मंजूरी मिलने से पहले अपने कानून बनाए थे – क्रमशः 2017 और 2018 में – क्योंकि मंत्रालय ने 2015 में ‘सभी के लिए आवास’ मिशन शुरू करते समय पुराने किराया नियंत्रण अधिनियमों को रद्द करने और नए किरायेदारी कानून बनाने का सुझाव दिया था. मॉडल अधिनियम को मंजूरी मिलने के बाद 2021 में असम और उत्तर प्रदेश ने अपने कानून बनाए. यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य ने सभी 75 जिलों में किराया अदालतें स्थापित की हैं, जो उत्तर प्रदेश शहरी परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 के प्रावधानों में से एक है. जबकि मॉडल अधिनियम में कहा गया है कि किराया प्राधिकारी को लिखित रूप में सूचित किए बिना किसी भी संपत्ति को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में अधिनियम में 12 महीने से अधिक के पट्टे के लिए इसे अनिवार्य किया गया है. अधिकारी ने कहा कि चूंकि अधिकांश पट्टे 11 महीने के हैं, इसलिए राज्य को अब तक पट्टों के पंजीकरण के लिए 206 आवेदन प्राप्त हुए हैं. वहीं असम में अभी तक नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है.

Also Read: Aadhaar Card Update: आधार में नया मोबाइल नंबर अपडेट करना है आसान, जानें खुद से कैसे होगा काम

किराये के लिए समझौते पर हस्ताक्षर होना जरूरी

मॉडल किरायेदारी अधिनियम कहता है कि संपत्तियों को किराये पर देने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किरायेदार और मकान मालिक का होना जरूरी है. इसमें किरायेदारी की अवधि, सहमत किराया वृद्धि और निश्चित सुरक्षा जमा (आवासीय के लिए दो महीने तक का किराया और गैर-आवासीय के लिए छह महीने का किराया) शामिल है. इन समझौतों को अनुमोदन के लिए किराया अधिकारियों (डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारियों) को प्रस्तुत किया जाना है. अधिनियम के तहत किराया अदालतों की स्थापना, विवादों के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त एडीएम रैंक का एक अधिकारी, और किराया न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक जिला न्यायाधीश या अतिरिक्त जिला न्यायाधीश का होना जरूरी है. विवाद की स्थिति में, किराया अदालत किराए में संशोधन, बेदखली, परिसर पर कब्ज़ा लेने के लिए आवेदन आदि का फैसला कर सकती है. आदेश को किराया न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी जा सकती है.

Also Read: केंद्र सरकार ने बढ़ा दिया निवेश पर ब्याज,जानें PPF, Sukanya Samriddhi Yojana, NSC पर कितना मिलेगा इंटरेस्ट रेट

एक्ट से किरायेदार को मिलेंगे कई अधिकार

केंद्र सरकार के द्वारा संसद में पास की गयी मॉडल किरायेदारी अधिनियम को लागू कराने का अधिकार राज्यों के पास है. इसके राज्य में लागू होने से मकान मालिक के साथ किरायेदारों को भी कई अधिकार मिलेंगे. मकान या प्रॉपर्टी के मालिक और किरायेदार में किसी बात को लेकर विवाद होता है, तो उसे सुलझाने का दोनों को कानूनी अधिकार मिलेगा. हर बात लिखित होगी. लिहाजा कोई किसी की संपत्ति पर कब्जा नहीं कर पायेगा. मकान मालिक अपने किरायेदार पर घर खाली करने के लिए दवाब नहीं डाल सकेंगे. इसके लिए कई जरूरी प्रावधान बनाये गए हैं.

मॉडल किरायेदारी अधिनियम क्या है

मॉडल किरायेदारी अधिनियम (Model Tenancy Act) भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया एक प्रस्तावित किरायेदारी अधिनियम है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में किराये की जमीनों और विभिन्न प्रकार की संपत्तियों के लिए नए किरायेदारी के नियम और प्रक्रियाओं को स्थापित करना है. इसका लक्ष्य है किरायेदारों और मालिकों के बीच किरायेदारी सम्बंधों को स्पष्ट और विश्वसनीय बनाना, और रित्तीय विवादों को कम करना.

कानून की मुख्य विशेषताएं और प्रावधान:

  • नियमितियां और समय सीमा: यह अधिनियम किरायेदारी सम्बंधों को निर्धारित नियमों के तहत करने के लिए निर्दिष्ट समय सीमाओं को निर्धारित करता है, जैसे कि किरायेदार की तरफ से पूर्व-सुचना और मालिक की तरफ से अवसरक्ता नोटिस की समय सीमा.

  • किरायेदार के अधिकार: यह अधिनियम किरायेदारों के अधिकारों को मजबूत करता है, जैसे कि विनियमित मापदंडों के तहत विनियमित किराया बढ़ाने का अधिकार.

  • मालिक के अधिकार: मालिकों को उनकी संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण और विभिन्न उपयोग की अनुमति होती है, लेकिन वे किरायेदारों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं.

  • सुरक्षा जमानत: इसके अंतर्गत किरायेदार के द्वारा जमानत देने की प्रक्रिया और नियम निर्धारित किए गए हैं.

  • अनुशासन और जुर्माना: अधिनियम किरायेदारों और मालिकों के बीच उल्लंघन की सजा को संघटित करता है.

  • विवाद समाधान: अधिनियम विवादों को न्यायिक समाधान की दिशा में प्रोत्साहित करता है और जल्दी न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने की दिशा में उत्साहित करता है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version