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आटे की बेतहाशा बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार ने किया बड़ा फैसला, निर्यात पर लगी रोक

रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से चल रहे युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस कारण दुनिया के दूसरे देशों में भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है. दूसरे देशों को गेहूं के निर्यात बढ़ने के कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है.

नई दिल्ली : भारत में तेजी से बढ़ रही आटे की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गेहूं के आटे के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा दी है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय जल्द जारी करेगा अधिसूचना

सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल के इस फैसले से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति होगी. इससे आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा. रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं. दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं.

सरकार ने आटे के निर्यात पर मई में भी लगाई थी रोक

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से चल रहे युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस कारण दुनिया के दूसरे देशों में भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है. दूसरे देशों को गेहूं के निर्यात बढ़ने के कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है. सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया.

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अप्रैल-जुलाई 200 फीसदी बढ़ा गेहूं के आटे का निर्यात

एक बयान के अनुसार, भारत से गेहूं के आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 फीसदी बढ़ा है. इससे पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी. ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इसके निर्यात पर प्रतिबंध या प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की जरूरत थी.

भाषा इनपुट

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