कोरोना महामारी की मार से जूझ रहीं बिजली वितरण कंपनियों को मोदी सरकार ने दी बड़ी राहत, जानिए केंद्रीय कैबिनेट ने क्या किया फैसला?
सरकार ने बुधवार को उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) योजना के तहत वितरण कंपनियों के लिए कर्ज लेने को लेकर कार्यशील पूंजी सीमा नियम में एकबारगी ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. वितरण कंपनियों के लिए यह कर्ज सुविधा 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की योजना का हिस्सा है.
नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) योजना के तहत वितरण कंपनियों के लिए कर्ज लेने को लेकर कार्यशील पूंजी सीमा नियम में एकबारगी ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. वितरण कंपनियों के लिए यह कर्ज सुविधा 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की योजना का हिस्सा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बिजली क्षेत्र में समस्या है. बिजली खपत में नरमी है. वितरण कंपनियां बिल संग्रह नहीं कर पा रही हैं. इसको देखते हुए पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) और आरईसी को 25 फीसदी कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने की अनुमति दी गयी है. इससे राज्यों की वितरण कंपनियों के पास नकदी बढ़ेगी.
उन्होंने कहा, ‘कार्यशील पूंजी सीमा पिछले साल की आमदनी का 25 फीसदी है. अब इस सीमा में ढील दी गयी है.’ आधिकारिक बयान के अनुसार, सीसीईए ने वितरण कंपनियों को उदय योजना के अंतर्गत पिछले साल की आमदनी के 25 फीसदी कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने के लिए पीएफसी और आरईसी लिमिटेड को एकबारगी छूट दे दी है. बयान में कहा गया है कि एकबारगी छूट से बिजली क्षेत्र को नकदी उपलब्ध कराने और वितरण कंपनियों द्वारा भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा.
कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए देशव्यापी बंद (लॉकडाउन) से बिजली क्षेत्र के लिए नकदी की समस्या बढ़ी है. एक तरफ जहां बिजली बिल की वसूली में समस्या हुई. वहीं, जरूरी सेवा के कारण आपूर्ति बनाये रखी गयी. बयान के अनुसार, ऊर्जा खपत में उल्लेखनीय कमी आयी है. आर्थिक गतिविधियों में तेजी और बिजली मांग में बढ़ोतरी में कुछ समय लगेगा. ऐसे में, बिजली क्षेत्र में नकदी के मोर्चे पर स्थिति अल्पकाल में नहीं सुधरेगी. इसीलिए बिजली आपूर्ति बनाये रखने के लिए बिजली क्षेत्र में नकदी डाले जाने की तत्काल जरूरत है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कोविड-19 राहत पैकेज के तहत नकदी संकट और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ के कारण मांग में कमी से जूझ रही वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की थी. हालांकि, कुछ वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज लेने के लिए पात्र नहीं थीं, क्योंकि वे उदय योजना के अंतर्गत कार्यशील पूंजी सीमा नियमों को पूरा नहीं कर रही थी.
उदय योजना के तहत बैंक और वित्तीय संस्थान वितरण कंपनियों की पिछले साल की आमदनी के 25 फीसदी तक ही कार्यशील पूंजी कर्ज दे सकते थे. यह पाबंदी उदय योजना का हिस्सा थी. कर्ज में फंसी वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने के प्रयास के तहत नवंबर 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उदय योजना को मंजूरी दी थी.
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इसके अलावा, वितरण कंपनियां पैकेज के तहत राज्यों से प्राप्त होने वाली राशि के एवज में कर्ज ले सकती थीं, ताकि वे बकाये का निपटान कर सकें, लेकिन कुछ वितरण कंपनियों के पास दोनों प्रावधानों के अंतर्गत गुंजाइश नहीं थी. इसीलिए बिजली मंत्रालय ने कार्यशील पूंजी सीमा नियम में ढील देने का प्रस्ताव किया, ताकि ये वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज ले सकें और बकाये का भुगतान कर सकें.
Posted By : Vishwat Sen
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