आ गया MSME के लिए प्री-पैकेज इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस, जानिए क्या है इसके फायदे
बीते साल हुए लॉकडाउन से तंगी की मार झेल रहे छोटे-मझोले उद्योगों (MSME) के लिए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है, जिसमें सरकार ने प्री-पैकेज इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस पेश किया है. यह एक प्री-पैकेज्ड, अनौपचारिक हाइब्रिड और कर्जदारों को ध्यान में रखकर तैयार की गई प्री इन्सॉलवेंसी प्रक्रिया है, जो इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत काम करेगी. अब तक इस तरह की प्रक्रिया सिर्फ विकसित देशों जैसे इंग्लैड, अमेरिका और सिंगापुर में ही अपनाई जाती थी, लेकिन अब भारत भी इस तरह की प्रक्रिया को जल्द से जल्द अपनाने की कोशिश कर रहा है.
बीते साल हुए लॉकडाउन से तंगी की मार झेल रहे छोटे-मझोले उद्योगों (MSME) के लिए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है, जिसमें सरकार ने प्री-पैकेज इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस पेश किया है. यह एक प्री-पैकेज्ड, अनौपचारिक हाइब्रिड और कर्जदारों को ध्यान में रखकर तैयार की गई प्री इन्सॉलवेंसी प्रक्रिया है, जो इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत काम करेगी. अब तक इस तरह की प्रक्रिया सिर्फ विकसित देशों जैसे इंग्लैड, अमेरिका और सिंगापुर में ही अपनाई जाती थी, लेकिन अब भारत भी इस तरह की प्रक्रिया को जल्द से जल्द अपनाने की कोशिश कर रहा है.
वैकल्पिक इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन की तरह करेगा काम
सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश में कहा गया है कि यह प्री-पैकेज आईबीसी के तहत MSME के दायरे में आनेवाले उद्योगों के लिए एक वैकल्पिक इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस का काम करेगा और सभी स्टेक होल्डर को इसके जरिए कास्ट इफेक्टिव और वैल्यू बढ़ाने वाले नतीजे मिलेंगे. इस प्रक्रिया से कम से कम अव्यवस्था उत्पन्न होगी और इस तरह के उद्योगों के कारोबार में भी निरतंरता बनी रहेगी. इससे लोगों के बेरोजगार होने का डर खत्म हो जाएगा.
120 दिनों का लगेगा समय
नए प्री-पैकेज इन्सॉल्वेंसी की बात करें, तो इस कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करने के लिए कम से कम 66 फीसदी क्रेडिटर की मंजूरी जरूरी होगी. साथ ही, इस प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया को 120 दिनों के अंदर पूरा करना होगा. जो पूरी तरह से कंपनी का मैनेजमेंट बोर्ड पर निर्भर रहेगा. हालांकि, मैनेजमेंट भी प्री-पैकेज इनसॉल्वेंसी के तहत निर्धारित शर्तों के अधीन ही काम करेगा.
जीडीपी में है बड़ा योगदान
सरकार ने इस अध्यादेश में कहा है कि माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेस भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है. साथ ही, इनका बहुत बड़ा योगदान देश की जीडीपी में जाता है. इसलिए इस सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए इन उद्योगों के लिए खास तरह के बिजनेस मॉडल और कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर की जरूरत है. साथ ही, इसकी मांग को देखते हुए इनकी इन्सॉल्वेंसी से जुड़े सवालों को तेजी से सुलझाने की भी जरूरत है.
डेटर का होगा अधिकार
सरकार की ओर से जारी नया अध्यादेश इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस सामान्य कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस से काफी अलग हैं. इसमे MSMEs के लिए यह प्री-पैक मॉडल डेटर के अधिकार में होगा, जबकि नियंत्रण मॉडल में क्रेडिटर होगा. सामान्य इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में यह एक प्रोफेशनल के अधिकार में था, जबकि कंट्रोल एक क्रेडिटर करता था. सीधे शब्दों में कहें, तो एमएसएमई के लिए प्री-पैक में डेटर तब तक नियंत्रण जारी रखेगा, जब तक रेसोल्यूशन नहीं हो जाता. सामान्य कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में रिजॉल्यूशन प्रोसेस प्रवेश के दिन से ही मान्य हो जाता है.
Posted by : Vishwat Sen
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