नयी दिल्ली : केंद्र सरकार निजीकरण की योजना को आगे बढ़ाते हुए देश में अब 12 में से 7 बैंक को बेचने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर प्रस्ताव बनाया जा रहा है. जल्द ही केंद्र सरकार इन 7 बैंकों की हिस्सेदारी को बेचने की प्रक्रिया शुरू करेगी. बताया जा रहा है कि देश में अब सिर्फ 5 बैंक ही सरकार के अधीनस्थ रखा जाएगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार निजीकरण के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 7 सरकारी बैंक की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने के कारण देश इस वक्त फंड की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में सरकार ने इन बैंकों की हिस्सेदारी बेचने की रणनीति बनाई है.
विलय का ऑप्शन खत्म– केंद्र सरकार सरकारी बैंकों के मर्जर का विकल्प पर पहले ही विराम लगा चुकी है. ऐसे में अब किसी भी सरकारी बैंक का मर्जर नहीं हो सकता है. सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि देश में बैंक विलय का ऑप्शन खत्म हो चुका है, जिसके कारण अब सरकार के पास कोई नया ऑप्शन नहीं है. ऐसे में सरकार हिस्सेदारी बेचने पर रणनीति बना रही है.
कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव- केंद्र सरकार इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. वित्त विभाग के अधिकारी इसके प्रस्ताव को बनाने में जुटे हुए हैं. जल्द ही कैबिनेट में यह प्रस्ताव रखा जाएगा. हालांकि वित्त मंत्रालय ने एजेंसी से इसपर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
कर्ज की चिंता– सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स के बताया कि हिस्सेदारी बेचने का सबसे बड़ा कारण लोन है. सरकार को लगता है कि संकट आने के बाद उसके बैंकों पर कर्ज दोगुना हो सकता है. सितंबर 2019 के अंत में भारतीय बैंकों के पास पहले से ही 9.35 ट्रिलियन रुपये (124.38 बिलियन डॉलर) का कर्ज है जो उनकी कुल संपत्ति का लगभग 9.1% है. आने वाले समय में यह बढ़ भी सकता है.
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बPosted By : Avinish Kumar Mishra
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