प्याज की बेकाबू कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने नियमों में दी ढील, जानिए क्या है भाव
देश की थोक और खुदरा सब्जी मंडियों में प्याज की बेकाबू कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने नियमों में ढील देने का फैसला किया है. सरकार की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, सरकार ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने, कीमतों पर अंकुश के लिए प्याज आयात के नियमों में ढील दी है. बयान में कहा गया है कि सरकार प्याज की कीमत को काबू में लाने के लिए बनाए गए बफर स्टॉक से खुदरा बाजार में अधिक मात्रा में सप्लाई की जाएगी.
नयी दिल्ली : सरकार ने देश में प्याज की महंगाई के बीच इसकी आपूर्ति बढ़ाने और के मकसद से इसके आयात के आयात को सुगम करने के लिए नियमों में ढील दी है. यह ढील 15 दिसंबर तक रहेगी. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में यह भी कहा कि कीमतों पर अंकुश के लिए वह खुले बाजार में बफर स्टॉक से और अधिक मात्रा में प्याज उतारी जाएगी. इसमें कहा गया है कि 37 लाख टन की खरीफ की प्याज मंडियों में पहुंचने की संभावना है. इससे बाजार शांत करने में मदद मिलेगी.
मंत्रालय के अनुसार, पिछले 10 दिनों में प्याज की कीमतों में 11.56 रुपये प्रति किलोग्राम की तेज बढ़ोतरी हुई है. इससे इसका औसत राष्ट्रीय खुदरा भाव 51.95 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. पिछले साल इसी समय प्याज 46.33 रुपये चल रहा था. प्याज के खुदरा मूल्य में वर्ष 2020 के अगस्त-अंत से उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. हालांकि, मूल्य का स्तर पिछले साल 18 अक्टूबर तक नीचे ही था.
प्याज के आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए, मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने 21 अक्टूबर को पौध संगरोध आदेश (पीक्यू), 2003 के तहत 15 दिसंबर, 2020 तक आयात के लिए धूम्रशोधन तथा फायटोसेनेटरी प्रमाण (पीएससी) के बारे में अतिरिक्त सूचना की शर्तों में ढील दी है. भारतीय उच्च आयोगों को निर्देश दिया गया है कि वे संबंधित देशों में व्यापारियों से संपर्क कर भारत को अधिक प्याज की खेप भेजने के लिए प्रेरित करें. आयातित प्याज की ऐसी खेपों को भारत में एक मान्यता प्राप्त उपचार प्रदाता के माध्यम से आयातकों के द्वारा धुम्रशोधन किया जाएगा.
मंत्रालय ने कहा कि आयातकों से एक वचन लिया जाएगा कि प्याज का उपयोग केवल उपभोग के लिए किया जाएगा, न कि खेती के लिए. मंत्रालय ने कहा कि कीमतों को नरम बनाने के लिए बफर स्टॉक से प्याज सितंबर 2020 के उत्तरार्द्ध से प्रमुख मंडियों, सफल, केन्द्रीय भंडार, और एनसीसीएफ जैसे खुदरा विक्रेताओं के साथ-साथ राज्य सरकारों को एक सुनिश्चित तरीके से जारी किया जा रहा है. सितंबर में सरकार ने कहा कि उसने खरीफ प्याज के आने से पहले कम उत्पादन वाले मौसम के दौरान घरेलू उपभोक्ताओं को उचित दरों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में आंकड़े जारी किए हैं. प्याज की कीमतें बढ़ने की वजह उत्पादक क्षेत्रों में बारिश होने से सप्लाई बाधित होना है. आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 51 रुपये प्रति किलोग्राम, कोलकाता में 65 रुपये प्रति किलोग्राम और मुंबई में 67 रुपये प्रति किलोग्राम रहा.
विशेषज्ञों और व्यापारियों का मानना है कि दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में भारी वर्षा से सप्लाई बाधित है और इससे खरीफ की फसल की आवक प्रभावित हुई है. यह आपूर्ति आने वाले हफ्तों में पूरी तरह से बहाल होने का अनुमान है. फिलहाल रबी फसल के दौरान एकत्रित प्याज बाजार में बेचा जा रहा है. आम तौर पर खपत वाले क्षेत्रों में कीमतें इस दौरान बढ़ जाती हैं, लेकिन प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बारिश ने तबाही मचा दी है, जिससे आपूर्ति में कमी आई है.
देश में प्याज के शीर्ष उत्पादक क्षेत्र महाराष्ट्र के नासिक में भी प्याज का खुदरा मूल्य मंगलवार को 66 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 35 रुपये प्रति किलोग्राम था. प्याज की घरेलू उपलब्धता और बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पिछले महीने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
Posted By : Vishwat Sen
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