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कोरोना महामारी की वजह से मार्च 2020 के बाद जीएसटी संग्रह में गिरावट
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15 फरवरी को केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए जारी किए 5000 करोड़ रुपये
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कर्नाटक को सबसे ज्याददा 11634.88 करोड़ रुपये किए गए जारी
नयी दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण को देश में फैलने से रोकने के लिए पिछले साल के मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के कारण वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से केंद्र और राज्यों को होने वाली आमदनी का जबरदस्त झटका लगा था. मार्च-सितंबर 2020 के बीच केंद्र और राज्यों को जीएसटी से होने वाली आमदनी में तेजी से गिरावट दर्ज की गई.
देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन लगाए जाने के बाद कई महीनों तक आर्थिक गतिविधियां, विनिर्माण, उत्पादन और कारोबारी कामकाज ठप रहा. इससे मार्च से अगस्त 2020 तक जीएसटी संग्रह काफी कम हुआ.
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन में हुई गिरावट की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखे. देश के सभी राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार के दो उपायों में से पहले विकल्प का चयन किया. इसके तहत केंद्र सरकार राज्यों की ओर से कर्ज लेकर जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी कर रही है.
वित्त मंत्रालय ने 15 फरवरी 2021 को 16वीं किस्त के तौर पर राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं. केंद्र सरकार अब तक राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को कुल 95,000 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है.
सोमवार को जारी हुए 5000 करोड़ में 4597.16 करोड़ रुपये 23 राज्यों के लिए जारी किए गए हैं. वहीं, 402.84 करोड़ रुपये 3 केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुड्डुचेरी के लिए जारी किए गए. वहीं, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम को जीएसटी लागू किए जाने से राजस्व का कोई नुकसान नहीं हो रहा है.
जीएसटी क्षतिपूर्ति के अंतर का 86 फीसदी से अधिक रकम केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी कर दी है. इसमें से 86,729.93 करोड़ रुपये राज्यों और 8270.07 करोड़ रुपये 3 केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किए गए हैं. केंद्र सरकार राज्यों की ओर से 16वीं किस्त के लिए 4.65 फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज लेकर जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान कर रही है. केंद्र सरकार ने अब तक औसतन 4.78 फीसदी की ब्याज दर से 95 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेकर राज्यों को जारी किया है.
केंद्र की ओर से जारी कुल 95 हजार करोड़ रुपये में सबसे ज्यादा कर्नाटक को 11634.88 करोड़ रुपये मिले हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश को 2167.20 करोड़, असम को 932.42 करोड़, बिहार को 3661.70 करोड़, छत्तीसगढ़ को 1833.65 करोड़, गुजरात को 8647.89 करोड़, हरियाणा को 4081.14 करोड़, हिमाचल प्रदेश को 1610.17 करोड़, झारखंड को 996.13 करोड़, केरल को 3729 करोड़, मध्य प्रदेश को 4259.37 करोड़ शामिल हैं.
इसके अलावा, महाराष्ट्र को 11231.97 करोड़, ओडिशा को 3584.17 करोड़, पंजाब को 5405.84 करोड़, राजस्थान को 3622.50 करोड़, तमिलनाडु को 5852.85 करोड़, तेलंगाना को 1703.56 करोड़, उत्तर प्रदेश को 5633.14 करोड़, उत्तराखंड को 2172.07 करोड़ और पश्चिम बंगाल को 2865.55 करोड़ रुपये मिले. वही, केंद्रशासित प्रदेशों में दिल्ली को 5499.96 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर- 2130.51 करोड़ और पुड्डुचेरी को 639.60 करोड़ रुपये मिले हैं.
केंद्र ने पहले विकल्प को चुनने वाले राज्यों को स्पेशल विंडों के तहत कर्ज लेने की व्यवस्था दी है. इसके तहत राज्यों को स्टेट जीडीपी का 0.50 फीसदी तक अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाना है. आंकड़ों के मुताबिक, 28 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों को कुल 1,06,830 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जा सकता है.
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक महाराष्ट्र अपने जीडीपी का 0.50 फीसदी यानी 15,394 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले सकता है. इसके अलावा झारखंड 1,765 करोड़, उत्तर प्रदेश 9703 करोड़, तमिलनाडु 9627 करोड़, कर्नाटक 9018 करोड़, हरियाणा 4293 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले सकता है.
वहीं, हिमाचल प्रदेश 877 करोड़ रुपये, केरल 4522 करोड़, मध्य प्रदेश 4746 करोड़, मणिपुर 151 करोड़, मेघालय 194 करोड़, मिजोरम 132 करोड़, नगालैंड 157 करोड़, ओडिशा 2858 करोड़, पंजाब 3033 करोड़, राजस्थान 5462 करोड़, सिक्किम 156 करोड़, तेलंगाना 5017 करोड़, त्रिपुरा 297 करोड़, उत्तराखंड 1405 करोड़ और पश्चिम बंगाल 6787 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त कर्ज विशेष व्यवस्था के तहत ले सकता है.
केंद्र की ओर से सुझाए गए दो विकल्पों में ज्यादातर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पहले विकल्प को चुना है. पहले विकल्प को चुनने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
इसके अलावा तीन केंद्रशासित प्रदेश पुड्डुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर ने भी पहले विकल्प को चुनने का फैसला किया है. गौरतलब है कि इस व्यवस्था की शुरुआत 23 अक्टूबर 2020 को हुई थी. केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू करते समय राज्यों को भरोसा दिलाया था कि जुलाई 2022 तक केंद्र राज्यों को टैक्स कलेक्शन में आई गिरावट की भरपाई करेगा.
Posted By : Vishwat Sen
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