15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वोडाफोन मध्यस्थता फैसले के खिलाफ मोदी सरकार करेगी अपील? दिसंबर तक बचा हुआ है समय

वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि सरकार निर्णय के खिलाफ अपील करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर कर रही है. उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस वादे पर कुछ कहने से इनकार किया कि पूर्व की तिथि से संबंधित मामलों में सरकार मध्यस्थता मंचों के निर्णयों का सम्मान करेगी.

नयी दिल्ली : वोडाफोन से 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाया टैक्स वसूली के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (आईएटी) द्वारा सरकार का दावा खारिज होने के बाद इस फैसले के खिलाफ अपील करने का समय दिसंबर तक ही बचा है. न्यायाधिकरण ने ब्रिटेन की टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ग्रुप से भारतीय आयकर कानून में पिछली तिथि से प्रभावी एक संशोधन के तहत 22,100 करोड़ रुपये की वसूली के दावे को खारिज कर दिया है.

वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि सरकार निर्णय के खिलाफ अपील करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर कर रही है. उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस वादे पर कुछ कहने से इनकार किया कि पूर्व की तिथि से संबंधित मामलों में सरकार मध्यस्थता मंचों के निर्णयों का सम्मान करेगी.

पांडेय ने कहा कि हम विभिन्न पहलुओं पर अभी गौर कर रहे हैं और उचित समय पर निर्णय किया जाएगा. अपील करने की समय सीमा के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक मध्यस्थता आदेश में अपील करने के लिए 90 दिनों का समय होता है. इसीलिए हमारे पास निर्णय लेने के लिए समय है. हम उपयुक्त समय पर निर्णय करेंगे.

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे दिवंगत अरुण जेटली ने कई मौकों पर कहा था कि भाजपा सरकार पूर्व की तिथि से कर कानून का उपयोग कर कोई नई मांग नहीं करेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि उन मामलों में मध्यस्थता निर्णय का सम्मान किया जाएगा, जहां कंपनियों ने पहले की तिथि से कर कानून के जरिये कर मांग के पिछली सरकार के आदेश को चुनौती दी है.

वोडाफोन ने भारतीय आयकर कानून में 2012 के पूर्व से प्रभावी संशोधन के जरिये भारत में अपने निवेश पर कर की मांग को मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी. इस कानून से सरकार को पूर्व की तिथि से कर लगाने का अधिकार मिला था. इसके तहत, वोडाफोन के हच्चिसन व्हामपोआ के 2007 में मोबाइल फोन कारोबार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 11 अरब डॉलर में अधिग्रहण सौदे को लेकर कर की मांग की गयी थी.

कंपनी ने नीदरलैंड-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के तहत 7,990 करोड़ रुपये पूंजी लाभ कर (ब्याज और जुर्माना समेत 22,100 करोड़ रुपये) की मांग को चुनौती दी थी. मध्यस्थ्ता न्यायाधिकरण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद भारत का वोडाफोन से कर की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी का उल्लंघन है.

Also Read: Loan Moratorium : 5 नवंबर तक कर्जदारों के खातों में आ जाएगा कैशबैक का पैसा, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार तक टाली सुनवाई

निर्णय के तहत सरकार को वोडाफोन को कानूनी खर्चे का 60 फीसदी और मध्यस्थ नियुक्त करने पर खर्च 6,000 यूरो में से आधे का भुगतान करना होगा. सूत्रों के अनुसार, कानूनी खर्च के मामले में सरकार को करीब 75 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं.

Also Read: Kisan Credit Card से मछली और पशुपालक भी ले सकते हैं लोन, जानिए क्या है तरीका…

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें