महंगाई पर मोदी सरकार का वार: आटे के बाद टूटे चावल के निर्यात पर लगी रोक, गैर-बासमती चावल पर लगा शुल्क
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने शुक्रवार को टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जाती रही है. इसके अलावा, पशु चारे के लिए भी टूटा चावल उपलब्ध नहीं है. इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है.
नई दिल्ली : घरेलू स्तर पर महंगाई को नियंत्रित करने और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने गेहूं के आटे के बाद अब टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है. इसके साथ ही, सरकार गैर-बासमती चावल पर निर्यात शुल्क भी लगा दिया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान धान की बुवाई के रकबे में कमी आने के कारण इस साल चावल उत्पादन में 1.0-1.2 करोड़ टन की गिरावट आने के अनुमान के बीच यह कदम उठाया है. इसके साथ ही, सरकार ने निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क भी लगा दिया है. हालांकि, उसना चावल को इससे बाहर रखा गया है.
भारत से बड़े पैमान पर टूटे चावल का होता है निर्यात
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने शुक्रवार को टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जाती रही है. इसके अलावा, पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है. इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है.
डीजीएफटी ने गुरुवार को ही जारी की थी अधिसूचना
बता दें कि चीन के बाद चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखता है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती किस्म का चावल था. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से गुरुवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, टूटे हुए चावल के लिए निर्यात नीति को मुक्त से संशोधित कर प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह अधिसूचना शुक्रवार से प्रभावी हो गई है.
2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन टूटे चावल का किया था निर्यात
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन टूटे चावल का निर्यात किया था, जो वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है. चीन ने पिछले वित्त वर्ष में 15.8 लाख टन टूटे चावल का आयात किया था. चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में देश से टूटे हुए चावल का निर्यात 21.3 लाख टन हो गया है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 15.8 लाख टन रहा था. वहीं वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में यह सिर्फ 51,000 टन था.
टूटे चावल के निर्यात में 42 गुना वृद्धि दर्ज
सुधांशु पांडेय ने कहा कि टूटे चावल के निर्यात में 42 गुना वृद्धि देखी गई है. यह न सिर्फ निर्यात में असामान्य वृद्धि है, बल्कि यह काफी ज्यादा असामान्य है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में कुल चावल निर्यात में टूटे चावल का अनुपात बढ़कर 22.78 फीसदी हो गया है, जो वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में सिर्फ 1.34 फीसदी पर था. खाद्य सचिव ने कहा कि उसना चावल को छोड़कर बाकी सभी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने से घरेलू स्तर पर चावल की कीमतों को काबू करने में मदद मिलेगी.
खुदरा बाजार में चावल की थोक कीमत में 8 फीसदी की वृद्धि
चावल की थोक कीमतें एक साल में करीब आठ फीसदी बढ़कर 3,291 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी हैं. वहीं, बासमती चावल के निर्यात पर न तो प्रतिबंध लगाया गया है और न ही उस पर कोई सीमा-शुल्क लगा है. बीते वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात घटकर 39.4 लाख टन रह गया था. हालांकि चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 18.2 लाख टन हो गया है.
चालू मानसून में घटा है धान का रकबा
सरकार की तरफ से टूटे चावल के निर्यात पर रोक और गैर-बासमती चावल पर सीमा-शुल्क लगाने का फैसला असल में इस साल चावल उत्पादन कम रहने की आशंका का नतीजा है. कुछ राज्यों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की बुवाई का रकबा 5.62 फीसदी घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है. इस संदर्भ में खाद्य सचिव ने कहा कि धान के रकबे में कमी आने से इस साल चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन से लेकर 1.2 करोड़ टन तक की कमी आ सकती है. इसके बावजूद उन्होंने चावल उत्पादन जरूरतों से अधिक ही रहने का भरोसा जताया.
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कैसे होगी कम उत्पादन की भरपाई
सुधांशु पांडेय ने कहा कि अधिक बारिश वाले राज्यों में बेहतर उपज होने से कम बारिश वाले राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाएगी. हालांकि, यह एक शुरुआती अनुमान है, जो रकबे में गिरावट और औसत उपज पर आधारित है. देश के कुल चावल उत्पादन में खरीफ सत्र की फसल का योगदान करीब 80 फीसदी होता है. फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के दौरान चावल का कुल उत्पादन 13.029 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है. यह पिछले पांच वर्षों के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन अधिक है.
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