Morgan Stanley: भारत की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा मॉर्गन स्टेनली का भरोसा, GDP को लेकर की बड़ी भविष्यवाणी
Morgan Stanley: पूरी दुनिया भारत को इकोनॉमिक कैटेलिस्ट के रुप में देख रही है. विश्व की कई बड़ी कंपनियों ने चीन से हटकर भारत की तरफ अपना रुख कर लिया है. ऐसे में मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने भारत को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है.
Morgan Stanley: पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था आर्थिक कठिनाइयों और अनिश्चितता का सामना कर रही है. विश्व की महाशक्ति बढ़ती महंगाई के कारण परेशान हैं. वहीं, दूसरी तरफ चीन ही हालत भी खस्ता हो गयी है. ऐसी में भारतीय अर्थव्यवस्था पॉजिटीव एनर्जी दिख रही है. पूरी दुनिया भारत को इकोनॉमिक कैटेलिस्ट के रुप में देख रही है. विश्व की कई बड़ी कंपनियों ने चीन से हटकर भारत की तरफ अपना रुख कर लिया है. ऐसे में विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमिक एजेंसी मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने भारत को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है. उनका दावा है कि भारत की अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत की गति से बढ़ेगी.
क्या है एजेंसी का दावा
मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि निवेश के दम पर आगे बढ़ रही भारत की मौजूदा आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 2003-07 जैसी लग रही है. उस समय आर्थिक वृद्धि दर औसतन आठ प्रतिशत से अधिक थी. मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट ‘द व्यूपॉइंट: इंडिया – व्हाई दिस फील लाइक 2003-07’ में कहा कि एक दशक तक जीडीपी के मुकाबले निवेश में लगातार गिरावट के बाद अब भारत में पूंजीगत व्यय वृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में उभरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें लगता है कि पूंजीगत व्यय चक्र के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और इसलिए वर्तमान तेजी 2003-07 के समान है. मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वर्तमान तेजी खपत की तुलना में निवेश बढ़ने के चलते है. शुरुआत में इसे सार्वजनिक पूंजीगत व्यय से समर्थन मिला, लेकिन निजी पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि हो रही है. इसी तरह खपत को पहले शहरी उपभोक्ताओं ने सहारा दिया और बाद में ग्रामीण मांग भी बढ़ी. वैश्विक निर्यात में बाजार हिस्सेदारी बढ़ने और व्यापक आर्थिक स्थिरता से भी अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला है.
2026-27 को लेकर किया बड़ा दावा
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि मौजूदा तेजी जीडीपी के मुकाबले निवेश बढ़ने के चलते है. इसी तरह के वृद्धि चक्र में 2003-07 के दौरान जीडीपी के मुकाबले निवेश 27 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गया था. जीडीपी के मुकाबले निवेश 2011 तक अपने उच्चस्तर पर था, जिसके बाद इसमें गिरावट आई. यह गिरावट 2011 से 2021 तक देखने को मिली, हालांकि उसके बाद स्थिति बदलने लगी और अब जीडीपी के मुकाबले निवेश 34 प्रतिशत तक पहुंच गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2026-27 तक इसके 36 प्रतिशत होने का अनुमान है.
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