MTNL BSNL Merger: बीएसएनएल कर्मचारी संघ का PM को पत्र, एमटीएनएल के साथ विलय का प्रस्ताव छोड़ने की अपील
MTNL BSNL Merger बीएसएनएल कर्मचारी संघ ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में बीएसएनला कर्मचारी संघ ने सरकार से एमटीएनएल के बीएसएनएल में विलय के प्रस्ताव को छोड़ने की अपील की है.
MTNL BSNL Merger बीएसएनएल कर्मचारी संघ ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा है. पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में बीएसएनला कर्मचारी संघ ने सरकार से एमटीएनएल के बीएसएनएल में विलय के प्रस्ताव को छोड़ने की अपील की है. संघ ने सरकार को एमटीएनएल के 26,000 करोड़ रुपये के कर्ज को संभालने और बीएसएनएल को वित्तीय सहायता प्रदान करने का सुझाव दिया है.
विलय को लेकर सरकार बेहद गंभीर
दरअसल, सरकार एमटीएनएल के बीएसएनएल में विलय को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है. संसद केएक पैनल के अनुसार, दूरसंचार विभाग को एमटीएनएल के 26,500 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज और संपत्ति को एक विशेष प्रयोजन वहन में शामिल करने पर विचार करना चाहिए. इसके बाद बीएसएनएल के साथ अपने परिचालन का विलय करना चाहिए.
BSNL Employees Union appeal PM Modi to drop the proposal to merge MTNL with BSNL; suggests the govt to take over MTNL's Rs 26,000 crore debt and also provide financial assistance to BSNL. pic.twitter.com/yrrWHMShCx
— ANI (@ANI) March 23, 2022
बीएसएनएल राजस्व अर्जित करने की कर रही है कोशिश
इस मुद्दे पर संसदीय समिति ने कहा कि पहले स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन किया जाए. एमटीएनएल का कर्ज और संपत्ति इस एसपीवी में स्थानांतरित करने के बाद ही बीएसएनएल के संचालन के साथ विलय किया जाना चाहिए. लोकसभा सदस्य शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि बीएसएनएल राजस्व अर्जित करने की कोशिश कर रही है.
एमटीएनएल का बाजार में टिके रहना संभव नहीं!
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि घाटे में चल रही इस सार्वजनिक कंपनी को 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए देश में निजी दूरंसचार कंपनियों के समान स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाने चाहिए. बीएसएनएल और एमटीएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने समिति के समक्ष अपने प्रतिवेदन में कहा है कि बीएसएनएल 2025-26 तक लाभ में आ जाएगी. वहीं, एमटीएनएल का बाजार में टिके रहना संभव नहीं है क्योंकि उसके ऊपर 26,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. जबकि, राजस्व 1,300 करोड़ रुपए है.
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