गुजरात के इस गांव में आज भी है मुकेश अंबानी का 100 साल पुराना पुश्तैनी मकान, जानिए इसकी खासियत
मुकेश अंबानी के सौ साल पुराने मकान को एक हिस्से को सैलानियों के लिए खोल दिया गया है. इस मकान में विजिट करके कोई भी व्यक्ति अंबानी परिवार के इतिहास की जानकारी हासिल कर सकता है. इसके साथ ही, मुकेश अंबानी के सौ साल पुराने इस मकान से भारत और खासकर गुजरात की स्थापत्य कला की भी जानकारी मिलती है.
अहमदाबाद : भारत और एशिया समेत पूरी दुनिया में जब कभी किसी अमीर आदमी की बात की जाती है, तो जुबान पर सबसे पहला नाम मुकेश अंबानी का ही आता है. मुकेश अंबानी आज दुनिया के सबसे सफल उद्यमियों में टॉप पर जाने जाते हैं. मुकेश अंबानी पेट्रोलियम, टेलीकम्यूनिकेशन के साथ-साथ अब रियल एस्टेट क्षेत्र में अपना हाथ आजमा रहे हैं. उन्होंने लंदन में सबसे कीमती आलीशान मकान खरीदने के साथ ही अमेरिका में भी महंगे होटल को खरीदा है. इसके साथ ही, मुंबई में एंटीलिया सबसे महंगे और आलीशान मकानों में से एक जाना जाता है. लेकिन, गुजरात में सौ साल पुराने मुकेश अंबानी के पुश्तैनी मकान के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं कि मुकेश अंबानी का पुश्तैनी मकान गुजरात में कहां है और किस हाल में है…
गुजरात के चोरवाड़ गांव में है मुकेश अंबानी का पुश्तैनी मकान
एशिया के सबसे बड़े अमीर शख्सियत और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का पुश्तैनी मकान गुजरात के चोरवाड़ गांव में है, जो करीब सौ साल पुराना हो चुका है. चोरवाड़ गांव के इसी मकान में मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी का बचपन बीता था. धीरूभाई अंबानी इसी चोरवाड़ गांव के मकान से महज 500 रुपये लेकर निकले थे और जब वापस आए तो भारत ही नहीं दुनिया के सबसे सफल कारोबारी बनकर घर लौटे थे.
धीरूभाई अंबानी मेमोरियल बना अंबानी परिवार का पुराना मकान
भारत के सबसे सफल कारोबारी धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद संपत्ति और कारोबार बंटवारे को लेकर मुकेश और अनिल अंबानी के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थीं. इन दोनों भाइयों की दूरियां वर्ष 2011 में संपत्ति और कारोबार बंटवारे के बाद समाप्त हुई. दोनों भाइयों की दिनचर्या पटरी पर लौटने के बाद 28 सितंबर 2011 को धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिला बेन ने अपने पति की याद में गुजरात के चोरवाड़ा गांव स्थित सौ साल पुराने मकान को मेमोरियल बना दिया और उसका नाम धीरूभाई अंबानी मेमोरियल रखा गया.
सैलानियों के लिए खोला गया मकान
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकेश अंबानी के सौ साल पुराने मकान को एक हिस्से को सैलानियों के लिए खोल दिया गया है. इस मकान में विजिट करके कोई भी व्यक्ति अंबानी परिवार के इतिहास की जानकारी हासिल कर सकता है. इसके साथ ही, मुकेश अंबानी के सौ साल पुराने इस मकान से भारत और खासकर गुजरात की स्थापत्य कला की भी जानकारी मिलती है. इससे लोगों को यह जानकारी हासिल होती है कि पुराने जमाने में गुजरात में मकान कैसे बनाए जाते थे.
भव्य मकान का कैसा है स्वरूप?
मुकेश अंबानी के इस भव्य पुश्तैनी मकान में बरामदे, कमरे, अतिथि कक्ष और रसोई घर देखने को मिलेगा. साथ ही आप पुराने जमाने के कुछ फर्नीचर भी इस घर में देख सकते हैं. यहां पर सोविनियर शॉप भी है, जहां अंबानी परिवार से जुड़ी कुछ यादगार चीजों की बिक्री भी की जाती है. इस घर के एक हिस्से को अंबानी परिवार ने अपने पास रखा है. इस हिस्से में आज भी कोकिलाबेन अंबानी यहां रहने आती हैं. इस घर में बड़ा सा गार्डन है. गार्डन का एक हिस्सा सैलानियों के लिए हैं और दूसरा हिस्सा प्राइवेट है. यहां कई स्थानों पर मुगल स्टाइल फाउंटेन लगाए गए हैं और मंदाना स्टोन से पाथवे बनाया गया है.
पुराने मकान में कोकिलाबेन ने बिताए थे आठ साल
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो शादी के बाद धीरूभाई अंबानी जामनगर से कोकिलाबेन अंबानी को विदा कराके इसी चोरवाड़ गांव के पुश्तैनी मकान लाए थे. इसके बाद कारोबार करने के लिए धीरूभाई अंबानी यमन के अदेन शहर चले गए थे. धीरूभाई के यमन जाने के बाद कोकिलाबेन ने इस पुराने पुश्तैनी मकान में करीब आठ साल बिताए.
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बैलगाड़ी चलाने के बाद धीरूभाई ने प्लेन और हेलीकॉप्टर तक खरीदे
अपने पुराने साक्षात्कार में कोकिलाबेन ने मीडिया को जानकारी दी थी, ‘अपनी पहली कार धीरूभाई अंबानी ने काले रंग की खरीदी थी. जब मैं अदेन पहुंची थी, तो वह मुझे उसी कार से लेने आए थे. उनका मजाक करने का अंदाज बहुत ही अच्छा था. अपने संघर्ष के दौर में भी मैंने उन्हें कभी भी निराश नहीं देखा. शायद यही वजह है कि गांव में बैलगाड़ी चलाने के बाद यमन में उन्होंने कार खरीदी और फिर मुंबई में प्लेन और हेलीकॉप्टर खरीदे.