नई दिल्ली : भारत के सबसे बड़े उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा है कि 1991 के आर्थिक उदारीकरण का सबको एकसमान लाभ नहीं मिला है, लेकिन 2047 तक देश अमेरिका-चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को टक्कर देगा. उन्होंने कहा कि समाज के सबसे निचले स्तर पर संपत्ति के सृजन के लिए विकास का ‘भारतीय मॉडल’ जरूरी है. उन्होंने भरोसा जाहिर करते हुए कहा कि 2047 तक देश अमेरिका और चीन के बराबर पहुंच सकता है.
भारत के आर्थिक उदारीकरण के 30 साल के पूरे होने के मौके पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने अंग्रेजी एक अखबार में छपे लेख में कहा है कि साहसी आर्थिक सुधारों की वजह से 1991 में जो हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 266 अरब डॉलर था, आज यह 10 गुना बढ़ चुका है. उन्होंने अपने लेख में कहा कि भारत 1991 में कमी वाली अर्थव्यवस्था था, जो 2021 में आधिक्य वाली अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गया. अब भारत को खुद को 2051 तक टिकाऊ स्तर पर आधिक्य और सभी के लिए समान समृद्धि वाली अर्थव्यवस्था में बदलना है.
अंबानी ने लिखा है कि भारत ने 1991 में अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा बदलने का साहस दिखाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने निजी क्षेत्र को भी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रभावशाली ऊंचाई पर रखा. इससे पिछले चार दशकों में यह स्थान सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र को हासिल था. इससे लाइसेंस और कोटा राज समाप्त हुआ, व्यापार और औद्योगिक नीतियां उदार हुईं तथा तथा कैपिटल मार्केट और वित्तीय क्षेत्र ‘मुक्त’ हो सका.
अंबानी ने कहा कि यह आर्थिक उदारीकरण का ही नतीजा है कि आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सका. हालांकि, इस दौरान आबादी 88 करोड़ से बढ़कर 138 करोड़ हो गई, लेकिन गरीबी की दर आधी रह गई. अंबानी ने कहा कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा हमारी सोच से कहीं अधिक सुधरा है. अब हमारे एक्सप्रेसवे, हवाईअड्डे और बंदरगाह वर्ल्ड क्लास के हैं. कुछ ऐसा ही हमारे उद्योगों और सेवाओं के साथ है.
उन्होंने लिखा है कि अब यह एक सपने जैसा लगेगा कि लोगों को टेलीफोन या गैस कनेक्शनों के लिए इंतजार करना पड़ता था या फिर कंपनियों को कंप्यूटर खरीदने के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती थी. उन्होंने कहा कि 2047 में हम अपनी आजादी के 100 साल का जश्न मनाएंगे. इससे बड़ा सपना और क्या होगा कि उस समय तक हम भारत को दुनिया के तीन सबसे अमीर देशों में से एक बनाने में सक्षम होंगे.
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Posted by : Vishwat Sen
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