Rupee vs Dollar Exchange Rate: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज संसद में बताया कि रुपये की हालत क्यों खराब हो रखी है. क्यों रुपये का मूल्य लगातार गिर रहा है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री की ओर से संसद को बताया गया कि भारतीय मुद्रा रुपया की विनिमय दर बाजार आधारित है. वैश्विक कारणों से रुपया का मूल्य घटता और बढ़ता रहता है.
वैश्विक कारणों से कई बार रुपया का एक्सचेंज रेट गिरा है. वर्ष 2018 में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार छिड़ा, तो रुपये का मूल्य गिरने लगा. इसी साल यानी वर्ष 2018 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में वृद्धि कर दी, तो रुपये का मूल्य गिरने लगा.
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वित्त राज्यमंत्री ने संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इसी तरह वर्ष 2020 में जब वैश्विक महामारी कोरोना ने दस्तक दी, तो उसकी वजह से भारतीय मुद्रा के मूल्य में गिरावट दर्ज की गयी. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद को यह भी बताया कि रुपये का मूल्य कब कितना रहा है.
अपने लिखित उत्तर में श्री चौधरी ने बताया कि 29 जून 2018 को एक डॉलर का मूल्य 68.5753 रुपये था. 28 जून 2019 को डॉलर के मुकाबले रुपया का मूल्य 68.918 था. वहीं, 30 जून 2020 को एक डॉलर का मूल्य 75.527 रुपये रहा, जबकि 30 जून 2021 को यह 74.3456 रुपये रहा. 30 जून 2022 को एक डॉलर का मूल्य बढ़कर 78.9421 रुपये हो गया.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख तथा कच्चे तेल कीमतों की मजबूती के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने शुरुआती लाभ गंवा दिया और मंगलवार को यह डॉलर के मुकाबले स्थिर रुख के साथ बंद हुआ. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.73 पर खुला. कारोबार के दौरान रुपये ने 79.72 के उच्चस्तर और 79.81 के निचले स्तर को भी छुआ.
हालांकि, कारोबार के अंत में रुपया 79.78 (अस्थायी) के भाव पर अपरिवर्तित बंद हुआ. सोमवार को रुपया 12 पैसे की बढ़त को दर्शाता 79.78 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.31 प्रतिशत बढ़कर 106.81 हो गया.
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