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नेपाल ने क्या चीन के इशारे पर एवरेस्ट मसाले को किया बैन? जानें एक्सपर्ट की राय

Everest Masaala Ban in Nepal: चीन सस्ते सामान का उत्पादन करता है. चीन की आर्थिक नीति के तहत उत्पादकों को एक सस्ते सामान का उत्पादन, बिक्री और निर्यात करने की आजादी मिली हुई है. चीन के छोटे-छोटे उद्योगपति भी अपने सामान की मार्केटिंग पूरी दुनिया के बाजारों में करते हैं.

By KumarVishwat Sen | May 18, 2024 4:15 PM

Everest Masaala Ban in Nepal: भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक केमिकल के इस्तेमाल को लेकर एमडीएच एवरेस्ट मसाला पर प्रतिबंध लगा दिया है. उसने हांगकांग और सिंगापुर के बाद यह कदम उठाया है, लेकिन उसने यह कदम क्या सही मायने में अपने देश के लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के दृष्टिकोण से उठाया है या फिर इसके पीछे भारत के चिर प्रतिद्वंद्वी चीन का हाथ है? इसके पीछे संभावित कारण यह भी हो सकता है कि नेपाल का भारत के साथ संबंध तो है, लेकिन इधर हाल के वर्षों में उसका झुकाव चीन की तरफ काफी बढ़ गया है. इसीलिए कभी वह अपने मानचित्र में भारत के हिस्से वाले गांवों को शामिल कर लेता है, तो कभी भारतीय मुद्रा पर प्रतिबंध लगा देता है. फिलहाल, यह जानते हैं कि नेपाल की ओर से एवरेस्ट मसाले की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है?

नेपाल ने चीन के इशारे पर उठाया कदम

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ रमेश शरण ने कहा कि भारतीय उत्पाद एवरेस्ट मसाला की बिक्री पर प्रतिबंध से भारत-नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी जिस प्रकार की राजनीति चल रही है, उसमें नेपाल को चीन डोमिनेट कर रहा है. वह चीन के इशारे पर काम कर रहा है. कभी सीमा विवाद पैदा करता है, तो कभी मसाला पर प्रतिबंध लगाता है. कभी तरह-तरह का रिस्ट्रिक्शन लगाता है. यह सब चीन के इशारे पर करता है. उन्होंने कहा कि उसके इस कदम से भारत के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ना लाजिमी है.

भारत को चारो तरफ से घेरना चाहता है चीन

डॉ रमेश शरण ने आगे कहा कि चीन भारत को चारो तरफ से घेरना चाह रहा है, क्योंकि नेपाल भारत का बिजनेस पार्टनर है. अब चीन भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए नेपाल को सामान में मिलावट का मुद्दा उठाने के लिए कह देगा. उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह खुद से इतना बड़ा कदम उठाए. उन्होंने कहा कि नेपाल के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह भारत के खिलाफ इतना बड़ा कदम उठाए. उन्होंने कहा कि भारत अगर अपने यहां से सामान का निर्यात करना बंद कर देगा, तो नेपाल को दिक्कत हो जाएगी. अब नेपाल को चीन सामान पहुंचा रहा है.

भारत पर निर्भर है नेपाल का बाजार

वहीं, झारखंड की राजधानी रांची स्थित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ तपन शाण्डिल्य भी डॉ रमेश शरण की राय से इत्तफाक रखते हैं. प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि नेपाल एक बाजार है, क्योंकि नेपाल का अपना कोई प्रोडक्ट नहीं है. नेपाल का अपना कोई उद्योग धंधा नहीं है, जिससे उसकी इकोनॉमी का ग्रोथ हो सके. वह दूसरे देशों पर निर्भर है और खासकर भारत पर उसकी निर्भरता अधिक है. उसे भारत से ही सारी चीजें मिलती हैं. भारत के बाद वह चीन से सामान का आयात करता है. कुल मिलाकर नेपाल का बाजार और उसका आर्थिक विकास भारत पर ही निर्भर है.

नेपाल में सबसे अधिक बिकता है भारत का सामान

डॉ तपन शाण्डिल्य ने आगे कहा कि चूंकि चीन सस्ते सामान का उत्पादन करता है. चीन की आर्थिक नीति के तहत उत्पादकों को एक सस्ते सामान का उत्पादन, बिक्री और निर्यात करने की आजादी मिली हुई है. चीन के छोटे-छोटे उद्योगपति भी अपने सामान की मार्केटिंग पूरी दुनिया के बाजारों में करते हैं. अब चूंकि उनका सामान अन्य देशों के मुकाबले सस्ता होता है, इसलिए उसकी बिक्री बढ़ जाती है. नेपाल में फिलहाल भारत और चीन के सामान सबसे अधिक बेचे जाते हैं. खासकर भारत का सामान सबसे अधिक बिकता है. इसलिए चीन की नजर इस पर भी गड़ी हुई है.

मसाले पर प्रतिबंध से भारत को नुकसान नहीं

उन्होंने कहा कि जहां तक मसाला का मामला है, तो इससे भारत के विदेश व्यापार को बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा. इसका कारण यह है कि किसी भी देश में किसी उत्पाद को बेचने के लिए पेटेंट कराया जाता है, जिसे इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट भी कहते हैं. इस पेटेंट में कई प्रकार के कंडीशन जुड़े होते हैं, जिसे नेपाल या चीन चुनौती नहीं दे सकते. अब चूंकि चीन या नेपाल भारत के पेटेंट के कंडीशन को चुनौती नहीं दे सकते, तो चीन के इशारे पर नेपाल ने मसाले में मिलाए गए मुद्दे को उठाकर उसकी बिक्री पर रोक लगा दिया.

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क्या है इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट

डॉ तपन शाण्डिल्य आगे कहते हैं कि इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट के तहत कंपनी के उत्पाद की सुरक्षा के लिए सरकार कानून बनाकर कंडीशन देती है. सरकार के कंडीशन के आधार पर ही कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट का उत्पादन करती है. यहां पर उत्पादन अलग पार्ट है और मार्केटिंग अलग पार्ट है. अब अगर किसी उत्पाद में मिलाया गया पदार्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, तो इसकी जांच का अधिकार उस देश के पास भी होता है, जहां उसकी बिक्री की जाती है. इसके साथ ही, जब किसी उत्पाद के निर्यात के लिए पेटेंट किया जाता है, तो दूसरे देश में भेजने से पहले उस उत्पाद में मिलाए गए पदार्थों का उत्पादन स्तर पर ही टेस्ट किया जाता है. इस दृष्टिकोण से भी देखा जाए, तो इस प्रतिबंध पर संदेह पैदा होता है.

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