झारखंड में कृषि बिल के खिलाफ खाद्यान्न व्यापारियों ने चौथे दिन भी अपनी-अपनी दुकानें बंद रखी. थोक एवं खुदरा व्यापारी नये कृषि बिल के खिलाफ एक मंच पर आकर विरोध कर रहे हैं. इससे आमलोग को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. चक्रधरपुर में खाद्यान्न का आवक बंद है. इससे करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है. व्यापारियों ने कहा कि कृषि टैक्स बिल वृद्धि का विरोध पूरे प्रदेश में किया जा रहा है. राज्य सरकार से जल्द से जल्द इस विधेयक को वापस ले.
व्यापारियों ने कहा कि इसका खामियाजा सिर्फ दुकानदार ही नहीं, बल्कि हर कारोबारियों को भुगतना होगा. सभी कारोबारियों को अकारण टैक्स देना होगा. इससे साबित होता है कि सरकार आम जनता पर अलग से बोझ डालना चाह रही है. जब तक झारखंड सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती है, तब तक खाद्यान्न व्यापारियों का अनिश्चितकालीन बंदी जारी रहेगा.
व्यापारी संघ के अध्यक्ष विनोद साहू ने कहा कि नये कृषि बिल जनहित में नहीं है. कृषि विधेयक खिलाफ पुरे प्रदेश में लाखों व्यापारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. उन्होंने दावा किया कि इस बिल किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. मूल्य वृद्धि को बढ़ावा देगा.
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व्यापारी संघ के सचिव गोपाल खिरवाल ने कहा कि अधिकांश उपयोग की वस्तुएं दूसरे राज्यों से आती हैं. बाजार शुल्क लगाने से कीमतों में बढ़ोतरी होगी. उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. दूसरे राज्य से लायी गयी वस्तुओं पर पहले ही टैक्स लगा रहता है. नये बिल के अनुसार फिर से टैक्स लगाया जायेगा. यह न्यायसंगत नहीं है.
व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष संजय साव ने कहा कि सरकार नया बिल वापस ले. जब तक सरकार बिल वापस नहीं लेती विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. व्यापारी अपने व्यापार को ठप कर विरोध करते रहेगें. जनहित में सरकार चिंतन नहीं कर, कीमतों में बढ़ोत्तरी कर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है.
व्यापारी संघ के मीडिया प्रभारी अल्ताफ हुसैन ने कहा कि सरकार नये कृषि विधेयक लाकर काला कानून लागू कर रही है. रोजमर्रा की आम उपभोग की वस्तुओं पर दो प्रतिशत कृषि टैक्स लगाये जाने से महंगाई और बढ़ेगी. जो आम लोगों पर अधिक वित्तीय बोझ होगा.
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व्यापारी संघ के कोषाध्यक्ष दिलीप अग्रवाल ने कहा कि नया कृषि टैक्स प्रभावी होने से कृषकों को उनके उत्पाद का कम मूल्य मिलेगा. इससे किसानों की आय बढ़ने की बजाय घटेगी. सरकार चिंतन कर इस विधेयक को वापस ले, नहीं लेने पर विरोध जारी रहेगा.
व्यापारी संघ के भुवन साव ने कहा कि कृषि टैक्स राज्य में प्रभारी होने से कृषि उपज व उद्योगों का विचलन, झारखंड के निकटवर्ती राज्यों में हो जायेगा, जहां कृषि शुल्क लागू नहीं है. इससे व्यापार पर असर पड़ेगा. यह विधेयक कृषक, आम उपभोक्ता, कृषि उपज आधारित उद्योग व व्यवसायी हित में नहीं है.
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