Consumer Rights Day 2020: केन्द्र सरकार (Central Government) ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 (Consumer Protection Act) 20 जुलाई से से ही लागू कर दिया है. इस एक्ट के तहत उपभोक्ताओं को 6 अहम अधिकार दिये है. जिसकी बदौलत अगर कोई उत्पादक या सेलर किसी उपभोक्ता के साथ फ्रॉड या जालसाजी करता है तो उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वो कंपनी से मुआवजे की मांग कर सकता है. और उसे कोर्ट में भी घसीट सकता है. कोर्ट ऐसे मैन्युफैक्चरर या सेलर पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगा सकता है, और 6 महीने तक की जेल की सजा भी दे सकता है.
केन्द्र सरकार (Central Government) के नये नियम के तहत ग्राहकों को यह भी अधिकार होगा की वो जहां रह रहा है, वहां से शिकायत दाखिल कर सकेगा. इसके अलावा, भ्रामक विज्ञापन दिखाकर ग्राहकों से जालसाजी करने वालों को भी दंडित किया जा सकता है. केन्द्र सरकार (Central Government) के इस एक्ट में ग्राहकों को क्या 6 विशेष अधिकार दिये गये है जरा उसे समझते हैं.
सुरक्षा का अधिकार (Right to safety): सुरक्षा का अधिकार के तहत ग्राहकों को वैसी चीजों से सुरक्षा का अधिकार है जिनकी जिंदगी को खतरा हो सकता है. इससे किसी वस्तुओं और सेवाओं की बाजारू नीति से जिंदगी या संपत्ति को बचाया जा सकता है.
सूचना का अधिकार (Right to Information)- सूचना का अधिकार के तहत ग्राहक को वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता और कीमत के बारे में सही जानकारी पाने का पूरा अधिकार है. ताकी कोई कंपनी उसके साथ जालसाजी नहीं कर सके.
जबरन खरीदारी करवाने के विरूद्ध अधिकार (Right against forcible purchase)– इस एक्ट के तहत ग्राहकों को यह अधिकार है कि वो वस्तुओं और सेवाओं को पसंद नहीं आने पर छांट सकता है. ग्राहकों को अनुकूल चीजें खरीदने का मौका मिलता है.
सुनवाई का अधिकार (Right of hearing)- सुनवाई का अधिकार के तहत ग्राहक को खरीदारी करते समय शोषण के विरूद्ध वो आवाज उठा सकता है. वो अपनी बात फोरम में भी रख सकता है.
ग्राहको को शिकायत से निपटान का भी अधिकार मिला हुआ है. यानी उसकी किसी भी समस्या को निपटारा हर हाल में किया जाएगा.
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उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Consumer education right)– उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के तहत ग्राहक पूरी जानकारी रखने वाला खरीदार बना रहेगा, ताकी कोई उसे गुमराह नहीं कर सके. ऐऔऱ न ही कोई शोसन कर सके.
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कब बना था पहला उपभोक्ता कानून : उत्पादक और उपभोक्ता के बीच के विवाद को खत्म करने और किसी उत्पादक के शोसन ने खरीदारों को बचाने के लिए देश में पहली बार 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बना था. लेकिन समय के साथ इस कानून में तेजी लाने की जरुरत थी, ऐसे में नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 कानून को बनाया गया.
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Posted by: Pritish Sahay
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