मुंबई : केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को दावा किया है कि नई फसलों को बाजार में आने के बाद ही देश के लोगों को बढ़ी हुई महंगाई से निजात मिल सकेगी. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि खाद्य तेल और दालों का महंगाई बढ़ाने में प्रमुख योगदान रहा है और बाजार में उनकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए शुल्क कटौती के जरिए आपूर्ति बढ़ाने के उपाए किए गए हैं. इसके साथ ही, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी दोहराया कि पेट्रोल-डीजल पर करों और शुल्कों को कम करने के तौर तरीकों को लेकर केंद्र को राज्यों के साथ तालमेल बिठाना होगा.
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि नई फसल के बाजार में आने के बाद महंगाई में कमी आएगी और इसके 4-6 फीसदी के दायरे में रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने महंगाई को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं और कहा है कि महंगाई इस समय थोड़ी अधिक है. हालांकि, वह कुछ समय में सामान्य हो जाएगी और हमें भी लगता है कि एक बार फसल आने पर महंगाई कम हो जाएगी. उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि को कम करने की रणनीति के तहत सरकार ने खाद्य तेल और दाल सहित कई उत्पादों पर शुल्क कम किया है.
बजाज ने कहा कि मुख्य रूप से महंगाई बढ़ाने में इन घटकों का योगदान अधिक है. हमने इनके शुल्क को कम कर दिया है. हमने दाल और खाद्य तेल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आपूर्ति में सुधार किया. जुलाई में महंगाई दर कम होकर 5.59 फीसदी रह गई. आरबीआई को उम्मीद है कि यह 2021-22 में 5.7 फीसदी रहेगी.
सीतारमण ने कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान आपूर्ति शृंखला बाधित होने के चलते महंगाई 6 फीसदी से अधिक हो गई थी. उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई पर नजर रख रही है और जरूरत पड़ने पर राज्यों के साथ भी चर्चा कर रही है.
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तेल बॉन्ड को लेकर अपनी टिप्पणी पर कायम रहते हुए सीतारमण ने कहा कि यह यूपीए सरकार की चाल थी, जिसका भुगतान मौजूदा सरकार कर रही है. पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क और करों में कमी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों के साथ बैठकर समाधान तलाशना होगा.
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