नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर एक नया मोड़ आ गया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बारामूडा और मॉरीशस के छोटे विदेशी फंडों में निवेश किया है. शॉर्ट सेलर के इस आरोप पर मॉरीशस ने जवाब दिया है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग (एफएससी) ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों में जिस आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 का जिक्र किया गया है, उसका मॉरीशस से कोई लेना-देना नहीं है. एफएससी ने यह भी कहा कि मॉरीशस मुखौटा कंपनियों को अपने यहां काम करने की कभी इजाजत नहीं देता.
आईपीई प्लस फंड को मॉरीशस ने नहीं दिया है लाइसेंस
मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग ने कहा कि उसने 10 अगस्त, 2024 को अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को संज्ञान में लिया है. इसमें मॉरीशस-आधारित मुखौटा कंपनियों और मॉरीशस का टैक्स चोरों के पनाहगाह के रूप में जिक्र किया गया है. उसने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीई प्लस फंड मॉरीशस का एक छोटा विदेशी फंड है और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस में रजिस्टर्ड है. हम यह साफ करना चाहते हैं कि आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस से जुड़ा नहीं है. इसे कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है.
मॉरीशस में वैश्विक कंपनियों के लिए मजबूत ढांचा: एफएससी
गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा क्षेत्र और वैश्विक व्यापार के लिए एकीकृत नियामक ने कहा कि मॉरीशस के पास वैश्विक व्यापार कंपनियों के लिए एक मजबूत ढांचा है. एफएससी की ओर से लाइसेंस हासिल करने वाली सभी वैश्विक व्यापार कंपनियों को वित्तीय सेवा अधिनियम की धारा 71 के अनुसार निरंतर आधार पर महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करना होता है, जिसकी नियामक की ओर से सख्त निगरानी की जाती है. एफएससी ने कहा कि मॉरीशस सख्ती से अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहार का अनुपालन करता है और इसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के मानकों के अनुरूप माना गया है.
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हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर लगाया आरोप
अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार 10 अगस्त 2024 को अपनी नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा स्थित फंड की मॉरीशस-रजिस्टर्ड यूनिट में एक अज्ञात राशि का निवेश किया है. इसके लिए 2015 में सिंगापुर में एक मनी मैनेजमेंट कंपनी के साथ एक खाता खोला. मॉरीशस फंड का संचालन अदाणी ग्रुप का निदेशक कर रहा था और इसकी मूल इकाई का उपयोग दो अदाणी सहयोगियों की ओर से फंड की हेराफेरी करने तथा शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए किया गया था.
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