Tax: आपके लिए पुरानी कर व्यवस्था फायदेमंद है या न्यू टैक्स रीजीम, किसमें मिलेगी सबसे अधिक छूट

Tax: बजट 2025 में टैक्सपेयर्स के लिए नई और पुरानी कर व्यवस्था में कौन-सी फायदेमंद है? जानें 7 लाख तक की टैक्स छूट, नई टैक्स रीजीम के लाभ और पुरानी कर व्यवस्था में मिलने वाली कटौतियों की पूरी जानकारी

By KumarVishwat Sen | January 29, 2025 9:54 PM

Tax: एक फरवरी 2025 को संसद में पेश होने वाले सालाना बजट से करदाताओं को काफी उम्मीदें बंधी हैं. खासकर, नौकरी करने वाले कर्मचारियों को टैक्स से छूट का दायरा बढ़ाने की उम्मीद रहती है. सरकार ने टैक्स का भुगतान करने लिए दो प्रणाली लागू कर दिया है. इनमें पुरानी कर व्यवस्था और न्यू टैक्स रीजीम शामिल हैं. अब यह जानना जरूरी है कि आम करदाताओं के लिए पुरानी कर व्यवस्था और न्यू टैक्स रीजीम में से कौन अधिक फायदेमंद है. आइए, इसके बारे में जानते हैं.

कब लागू हुई थी न्यू टैक्स रीजीम

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में एक न्यू टैक्स रीजीम पेश की थी, जिससे करदाताओं को कम टैक्स स्लैब का लाभ मिल सके. हालांकि, पुरानी कर व्यवस्था भी अब तक लागू है और करदाताओं को दोनों में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया गया है.

इस टैली में नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था में अंतर दिया गया है.

नई कर व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता (छूट की वजह से). पुरानी कर व्यवस्था में यह छूट सिर्फ 5 लाख रुपये तक सीमित है.

नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था के लाभों में अंतर.

न्यू टैक्स रीजीम में कितनी मिलेगी छूट?

  • 7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है, क्योंकि सरकार ने 7 लाख रुपये तक की आय पर 25,000 रुपये की छूट दी है.
  • वेतनभोगी और पेंशनभोगी लोगों को भी अतिरिक्त 50,000 रुपये की छूट दी गई है.
  • न्यू टैक्स रीजीम में 6 स्लैब हैं, जिससे टैक्स बचत संभव है.

आपके लिए कौन-सी कर व्यवस्था बेहतर है?

यदि नई कर व्यवस्था चुनें: आपकी निवेश करने की आदत नहीं है. आप सिंपल टैक्स फाइलिंग चाहते हैं. आपकी आय 7 लाख रुपये के आसपास है और आप छूट का फायदा लेना चाहते हैं.

यदि पुरानी कर व्यवस्था चुनें: आप 80सी, 80डी, एचआरए और होम लोन आदि में निवेश करते हैं. आपकी आय 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा है और आप छूट लेकर टैक्स बचाना चाहते हैं. आप निवेश के जरिए लंबी अवधि में सेविंग्स बनाना चाहते हैं.

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करदाताओं को सुझाव

कम निवेश करने वालों के लिए नई कर व्यवस्था अच्छी है, क्योंकि इसमें कम टैक्स स्लैब हैं और कम डॉक्युमेंटेशन की जरूरत पड़ती है. निवेश करने वालों के लिए पुरानी कर व्यवस्था बेहतर है, क्योंकि इसमें ज्यादा छूट मिलती है और लॉन्ग टर्म में सेविंग्स अधिक होती हैं. अगर आपकी सैलरी 7 लाख रुपये से कम है, तो नई कर व्यवस्था फायदेमंद है, क्योंकि इसमें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा.

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