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अप्रैल से नहीं बदलेगी आपकी टेकहोम सैलरी, PF में भी बदलाव नहीं, सरकार ने wage code पर लिया ये बड़ा फैसला

new wage code 2021: केंद्र सरकार एक अप्रैल से श्रम कानूनों में बदलाव नहीं करेगी. इसका कारण यह है कि राज्यों ने इस संदर्भ में नियमों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है. इसका मतलब है कि कर्मचारियों के खाते में जितना वेतन आता था, पूर्व की तरह फिलहाल आता रहेगा वहीं नियोक्ताओं पर भविष्य निधि देनदारी में कोई बदलाव नहीं होगा.

  • New Wage Code लागू होने से एकाउंट में पैसा कम आयेगा

  • राज्यों ने नहीं दिया है नियम को अंतिम रूप

  • मूल वेतन अगर बढ़ता है तो भविष्य निधि में योगदान बढ़ेगा

new wage code 2021: केंद्र सरकार एक अप्रैल से श्रम कानूनों में बदलाव नहीं करेगी. इसका कारण यह है कि राज्यों ने इस संदर्भ में नियमों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है. इसका मतलब है कि कर्मचारियों के खाते में जितना वेतन आता था, पूर्व की तरह फिलहाल आता रहेगा वहीं नियोक्ताओं पर भविष्य निधि देनदारी में कोई बदलाव नहीं होगा.

श्रम संहिताओं के अमल में आने से कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि तथा ग्रेच्युटी गणना में बड़ा बदलाव आयेगा, हालांकि अभी यह फैसला टल गया है. श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंधों, मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, पेशागत स्वास्थ्य सुरक्षा और कामकाज की स्थित पर चार संहिताओं को एक अप्रैल, 2021 से लागू करने की योजना बनायी थी.

राज्यों ने नहीं दिया है नियम को अंतिम रूप

मंत्रालय ने चारों संहिताओं को लागू करने के लिए नियमों को अंतिम रूप दे दिया है. एक सूत्र ने बताया, चूंकि राज्यों ने चारों श्रम संहिताओं के संदर्भ में नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है, इन कानूनों का क्रियान्वयन कुछ समय के लिए टाला जा रहा है. सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों ने नियमों का मसौदा जारी किया है. ये राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड.

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चूंकि श्रम का मामला देश के संविधान में समवर्ती सूची में है, अत: केंद्र एवं राज्य दोनों को संहिताओं को अपने-अपने क्षेत्र में क्रियान्वित करने के लिये उससे जुड़े नियमों को अधिसूचित करना है. नयी मजदूरी संहिता के तहत भत्तों को कुल वेतन के 50 प्रतिशत तक सीमित रखा गया है. इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का आधा मूल वेतन होगा.

पीएफ के पैसे का ऐसा होगा निर्धारण

भविष्य निधि का आकलन मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) के आधार पर किया जाता है. ऐसे में मूल वेतन अगर बढ़ता है तो भविष्य निधि में योगदान बढ़ेगा. इससे जहां एक तरफ कमचारियों के भविष्य निधि में अधिक पैसा कटेगा, वहीं कंपनियों पर इस मद में देनदारी बढ़ेगी. नियोक्ता मूल वेतन को कम करने के लिये कर्मचारियों के वेतन को विभिन्न भत्तों में बांट देते हैं. इससे भविष्य निधि देनदारी कम हो जाती है और आयकर भुगतान कम होता है.

New Wage Code लागू होने से एकाउंट में पैसा कम आयेगा

अगर श्रम संहिताएं एक अप्रैल से अमल में आती, कर्मचारियों के खाते में आने वाला वेतन जरूर कम होता लेकिन सेवानिवृत्ति मद यानी भविष्य निधि में उनका ज्यादा पैसा जमा होता. साथ ही सेवानिवृत्ति के समय अधिक ग्रेच्युटी का लाभ मिलता. दूसरी तरफ कई मामलों में इससे नियोक्ताओं पर भविष्य निधि देनदारी बढ़ती. अब इन संहिताओं के लागू नहीं होने से नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के वेतन को नये कानून के तहत संशोधित करने के लिये कुछ और समय मिल गया है.

Posted By : Rajneesh Anand

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