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‘भू-राजनीतिक तनाव और महामारी से वैश्विक मंदी का खतरा, लाखों लोग हो सकते हैं गरीब’

निर्मला सीतारमण ने कहा कि दशकों से भारत अनुदान, ऋण सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के जरिए अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है. हमें ऐसा तंत्र तलाशना चाहिए, ताकि बहुतस्तरीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान समर्थन देश की जरूरतों के अनुरूप हो.

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को वायस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में कहा कि हालिया भू-राजनीतिक तनाव और कोरोना महामारी ने वैश्विक कर्ज से जुड़ी असुरक्षा को बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर इनसे नहीं निपटा गया, तो वैश्विक मंदी उत्पन्न हो सकती है और लाखों लोगों को गरीबी में ढकेल सकती है. वित्त मंत्री सीतारमण ने शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारी सहयात्री रहे वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है.

विकास के सहयोग में सबसे आगे रहा है भारत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दशकों से भारत अनुदान, ऋण सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है. उन्होंने कहा कि हमें ऐसा तंत्र तलाशना चाहिए, ताकि बहुतस्तरीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान किया जा रहा समर्थन देश की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप एवं अनुपूरक हो.

बढ़ रही वैश्विक कर्ज असुरक्षा

निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है और प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी और खाद्य एवं ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है. उन्होंने कहा कि ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में कर रहे हैं.

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ज्ञान और क्षमता निर्माण में आगे बढ़ रहा ग्लोबल साउथ

ग्लोबल साउथ क्षेत्र के साथ भारत के सहयोग को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमारी विकास सहयोग परियोजनाएं वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ ज्ञान साझा करने एवं क्षमता निर्माण के लिए आदर्श बन रही हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने इस शिखर सम्मेलन में ‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस सत्र में ग्लोबल साउथ देशों के 15 वित्त मंत्रियों ने अपने विचार रखे.

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