नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय मजबूती को जारी रखने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना करते हुए नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने मंगलवार को कहा कि इससे भारतीय कंपनियों के लिए पूंजी की लागत को कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय को 33 फीसदी की बड़ी वृद्धि के साथ 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस कदम से देश की आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिलेगी. वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा था कि वह राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाना जारी रखेंगी.
नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने समाचार एजेंसी भाषा बातचीत करते हुए कहा कि इसलिए ऐसी स्थिति में जहां वैश्विक स्तर पर काफी अनिश्चितता है, यह काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका असर भारतीय कंपनियों के लिए उपलब्ध ब्याज दरों पर पड़ेगा. सीतारमण ने अपने पांचवें बजट में 2023-24 में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय को 33 फीसदी बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. उन्होंने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के अनुमान को कायम रखा है. अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के अनुमान को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.9 फीसदी किया गया है. वित्त मंत्री ने 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसदी के स्तर पर लाने का इरादा जताया है.
विरमानी ने कहा कि बजट 2023-24 में वृद्धि के समावेशी पहलू भी हैं. अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले यह नरेंद्र मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट था. ऐसे में मध्यम वर्ग, महिलाओं और पेंशनभोगियों को लुभाने के लिए वित्त मंत्री ने कर रियायतों और बचत योजनाओं की घोषणा की है. इसके अलावा, उन्होंने आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर भारी खर्च का भी प्रस्ताव किया है.
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कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर लागू करने के सवाल पर विरमानी ने कहा कि नई पेंशन योजना एक बड़ा सुधार है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी इसका विरोध करता है, उससे मैं सहमत नहीं हूं. ओपीएस के तहत समूची पेंशन राशि सरकार द्वारा दी जाती थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 2003 में इसे एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था.
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