नितिन गडकरी ने बताया रद्द कर दिया था रिलायंस का टेंडर, बोले- बाला साहेब और धीरू भाई अंबानी हो गये थे नाराज!
नितिन गडकरी ने बताया कि उन्होंने रिलायंस के एक टेंडर को खारिज कर दिया था. इस कदम से न सिर्फ धीरूभाई अंबानी परेशान हुए थे. बल्कि खुद बालासाहेब ठाकरे ने भी नाराज हो गए थे. गडकरी ने बताया कि उनसे बालासाहेब ठाकरे ने पूछा था कि उस बोली को क्यों खारिज किया गया.
बीते दिन निवेशकों के साथ बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कई बातें कहीं. इस दौरान उन्होंने एक पुराना वाक्या भी शेयर किया. नितिन गडकरी ने बताया कि कैसे उन्होंने रिलायंस के एक टेंडर को खारिज कर दो हजार करोड़ रुपये बचाए थे. गडकरी ने बताया की मामला 1995 का है. जब महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी गठबंधन की सरकार थी. उस वक्त गडकरी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे.
नितिन गडकरी ने अपने कार्यकाल को याद कर कहा है कि, उन्होंने रिलायंस के पेश किए एक निविदा को खारिज कर दिया था. इस कदम से न सिर्फ धीरूभाई अंबानी परेशान हुए थे. बल्कि महाराष्ट्र पावर कॉरिडोर के अंदर भी सवाल उठाए थे. गडकरी ने बताया कि खुद बालासाहेब ठाकरे ने भी नाराज हो गए थे. गडकरी ने बताया कि उनसे बालासाहेब ठाकरे ने पूछा था कि उस बोली को क्यों खारिज किया गया.
नितिन गडकरी ने बताया कि जब 90 के दशक में वे राज्य मंत्री थे, उस समय मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के लिए उनके पास रिलायंस कंपनी का एक टेंडर आया था. टेंडर 3600 करोड़ रुपये का था. लेकिन यह उन्हें बहुत ज्यादा लगा और उन्होंने रिलायंस के टेंडर को खारिज कर दिया. गडकरी ने कहा कि इस कदम से धीरू भाई अंबानी के साथ साथ बाला साहेब ठाकरे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भी नाराज हो गये थे.
गडकरी ने बताया कि उस समय रिलायंस ने एक्सप्रेसवे के लिए 3600 करोड़ का टेंडर दिया था. लेकिन एमएसआरडीसी (MSRDC) ने उस रकम से आदे में भी उस परियोजना को पूरा कर लिया था. गडकरी ने बताया कि उस परियोजना को उन्होंने 1600 करोड़ रुपये में पूरा किया. जो रिलायंस के कोट मनी से आधे से भी कम में हो गया.
गडकरी ने बताया कि उस समय के तत्कालीन सीएम मनोहर जोशी ने उन्हें ऐसा करके दिखाने को कहा जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम का गठन किया. एमएसआरडीसी की ओर से निवेशकों से फंड मांगे गये. गडकरी ने कहा कि एमएसआरडीसी के बाजार से 500 करोड़ की पूंजी मिली. इसके बाद धीरे धीरे 1160 करोड़ भी जमा हो गये. और परियोजना भी पूरी हो गई.
Posted by: Pritish Sahay
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