Noida Twin Tower Demolition: नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित ट्विन टावर आज, यानी 28 अगस्त को, दोपहर ढाई बजे जमींदोज हो जाएगा. इसे गिराने के लिए 3700 किलोग्राम बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है और दिल्ली की ऐतिहासिक कुतुब मीनार से भी ऊंची इस इमारत को ध्वस्त होने में लगभग 12 सेकेंड का समय लगेगा. और इसी के साथ सुपरटेक का अवैध ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) ध्वस्त की जानेवाली भारत की सबसे ऊंची इमारत बन जाएगा. टावर गिराने का जिम्मा मुंबई की कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग (Edifice Engineering) ने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी जेट डिमोलिशंस (Jet Demolitions) के साथ मिल कर उठाया है.
ट्विन टावर क्यों गिराया जा रहा है?
नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक ट्विन टावर के निर्माण की शुरुआत साल 2009 में हुई थी. पूर्व में इसमें 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाकर बेचे जाने थे. फ्लैट्स खरीदने वाले कई लोगों का आरोप था कि कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना के इमारत के नक्शे में कई बदलाव कर डाले हैं. साल 2012 में इसे लेकर इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की गई. साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर के निर्माण को अवैध घोषित करते हुए इसे गिराने के निर्देश दिये. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी ट्विन टावर के निर्माण को अवैध मानते हुए इसे गिराने का आदेश दे दिया.
Also Read: पेट्रोल पंप कैसे खोलें ? जानें लाइसेंस पाने से लेकर फायदे तक की डीटेलनिकलेगा हजारों टन मलबा, बेचकर होगा डबल मुनाफा
ट्विन टावर को ढहाने के बाद इससे हजारों टन मलबा निकलेगा, जिसे आगे चलकर बेचा भी जा सकता है. मलबे की कुल कीमत 13 करोड़ लगायी जा रही है. जानकारों की मानें, तो मलबा खरीदने और उसे बेचने का बिजनेस जबरदस्त मुनाफेवाला है. आंकड़ों में बात करें, तो सामान्य तौर पर एक ट्रैक्टर ट्रॉली का मलबा 500-800 रुपये प्रति ट्रॉली बिकता है. जबकि मलबा खरीदार इसे कौड़ियों के भाव में लेते हैं. मलबे का इस्तेमाल आमतौर पर सड़क या जमीन की पटाई में होता है. ट्विन टावर ढहाने के बाद कहा जा रहा है कि करीब 1000 ट्रक से भी ज्यादा मलबा निकलेगा. इसके अलावा, इसमें से लोहा, स्टील, प्लास्टिक और दूसरे कबाड़ भी निकलेंगे. ऐसे में आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इस बिजनेस से जुड़े लोगों को खरीद-बिक्री और कमाई का बड़ा मौका मिलेगा.
मलबे का निस्तारण कैसे होगा?
इस प्रोजेक्ट के अधिकारियों के अनुसार, ध्वस्तीकरण की यह प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दी जाएगी और इसके बाद सबसे बड़ा सवाल 55,000 टन के मलबे का निस्तारण करने को लेकर पैदा होगा. 100 मीटर से थोड़े ज्यादा ऊंचे ट्विन टावर ट्विन टावर से लगभग 55000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने की उम्मीद जतायी जा रही है. टावर के मलबे से सरिया और स्टील निकाला जाएगा. एडिफिस एजेंसी ने मलबा हटाने के लिए 90 दिन का समय लिया है. इसके लिए सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट (कंस्ट्रक्क्शन ऐंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट) प्लान बनाया गया है. नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, ट्विन टावर से निकलने वाले मलबे से पहले टावर के बेसमेंट को भरा जाएगा. इसके बाद खाली निर्जन जमीन पर 35000 क्यूबिक मीटर मलबा भरा जाएगा. टावर ध्वस्तीकरण के बाद एक्सप्रेस वे और सड़कों पर भी धूल की मोटी परत जम जाएगी, जिसके लिए टावर गिरने के दो घंटे बाद नोएडा प्राधिकरण का मैकेनिकल स्वीपिंग शुरू कराने का प्लान है.
Also Read: Low Cost Business Ideas: सिर्फ 20 हजार रुपये लगाकर शुरू करें यह बिजनेस, होगी मोटी कमाईDisclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.