NSSO: दस सालों में दोगुना बढ़ गया महीने का खर्च, पढ़ाई-स्वास्थ्य पर बढ़ा फोकस, नीति आयोग के CEO ने बतायी ये बात

NSSO Survey: एनएसएसओ के द्वारा एमपीसीई के आंकड़ों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2,61,746 घरों जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 1,55,014 घर और शहरी के 1,06,732 घर को शामिल किया गया था.

By Madhuresh Narayan | February 26, 2024 9:35 AM

NSSO Survey: देश में एक आम परिवार का खर्च साल 2011-12 की अपेक्षा करीब दोगुना से अधिक बढ़ गया है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के द्वारा किये गए एक ताजा अध्ययन में ये बातें सामने आयी हैं. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत एनएसएसओ के द्वारा अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक देशभर में घरेलू खर्च को लेकर सर्वे क‍िया था. इसमें ये बात सामने आयी कि ग्रामीण परिवार का औसत खर्च 3,773 रुपये पहुंच गया. ये साल 2011-12 में 1,430 रुपये मात्र था. इसके साथ ही, घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (Monthly Per-capita Consumer Expenditure-MPCI) साल 2022-23 में 2,008 रुपये हो गया, जो साल 2011-12 में केवल 1,430 रुपये था. लोगों के कुल खर्च में पढ़ाई और स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में इजाफा हुआ है.

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NSSO Survey में शहरी क्षेत्रों में कितना बढ़ा खर्च

ग्रामीण इलाकों की तरह ही, शहरी क्षेत्र में पिछले दस सालों में खर्च बढ़ा है. साल 2022-23 में शहरी परिवार का औसत खर्च 6,459 रुपये हो गया, जो 2011-12 के दौरान महज 2,630 रुपये था. शहरी क्षेत्र में एमपीसीई पिछले दस सालों में 2630 से बढ़कर 3,510 रुपये तक पहुंच गया है. एनएसएसओ के द्वारा एमपीसीई के आंकड़ों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2,61,746 घरों जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 1,55,014 घर और शहरी के 1,06,732 घर को शामिल किया गया था. सरकार के द्वारा किये जाने वाले सर्वे का लक्ष्य आमआदमी के खर्च में किस तरह का बदलाव हो रहा है और अलग-अलग राज्यों के शहरों और ग्रामीण इलाकों में खर्च करने के पैटर्न की भी जानकारी मिलती है. इसी सर्वे के आधार पर सरकार अपनी योजनाएं बनाती है.

नीति आयोग ने क्या कहा?


नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि देश में गरीबी कम होकर पांच प्रतिशत पर आयी है. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग समृद्ध हो रहे हैं. लंबे समय से प्रतीक्षित इस कंज्यूमर एक्सपेंस सर्वे में कई बातें सामने आई हैं. सुब्रमण्यम ने कहा कि घरेलू खपत के आंकड़ों से हम यह आकलन कर सकते हैं कि देश में गरीबी की स्थिति क्या है और गरीबी उन्मूलन के उपाय कितने सफल रहे हैं. देश में गरीबी केवल 0-5 प्रतिशत समूह में है. उन्होंने कहा कि यह मेरा आकलन है लेकिन अर्थशास्त्री इसका विश्लेषण करेंगे और बिल्कुल सही आंकड़े सामने लाएंगे. उन्होंने सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत में लगभग 2.5 गुना की वृद्धि हुई है.

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