NTPC बाढ़ ने वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर कार्यशाला आयोजित की, आसपास के गांवों के किसान हुए लाभान्वित

NTPC News: आजादी का अमृत महोत्सव उत्सव और सामुदायिक विकास पहल के हिस्से के रूप में एनटीपीसी बाढ़ ने स्थानीय समुदाय के लिए वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2022 9:17 PM

NTPC News: आजादी का अमृत महोत्सव उत्सव और सामुदायिक विकास पहल के हिस्से के रूप में एनटीपीसी बाढ़ ने स्थानीय समुदाय के लिए वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. कौशल विकास कार्यक्रम के तहत तिलकमांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार के माध्यम से आसपास के गांवों के ग्रामीण किसानों के लिए 31 मार्च 2022 से 1 अप्रैल 2022 तक शुरू किया गया था.

एनटीपीसी बाढ़ की वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन इकाई में किया गया कार्यक्रम का आयोजन

कार्यक्रम का आयोजन आर एंड आर (पुनरवास और पुन:स्थापना विभाग) विभाग द्वारा किया गया था. उद्घाटन भाषण के दौरान डॉ. आर.के. मिश्रा, वैज्ञानिक, टीएमबीयू, भागलपुर ने बताया कि कैसे परियोजना प्रभावित गांवों के किसानों को एनटीपीसी द्वारा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए की गई इस तरह की पहल से लाभ उठाना चाहिए. कार्यशाला के दौरान आर एंड आर-एचआर विभाग के अधिकारी और एनटीपीसी बाढ़ की वर्मीकम्पोस्ट इकाई में कार्यरत सहयोगी भी उपस्थित थे.

आसपास के गांवों के 50 से अधिक किसान हुए लाभान्वित

कार्यशाला को एक समग्र दृष्टिकोण के साथ डिजाइन किया गया था, जिसमें विपणन रणनीतियों सहित वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर व्यावहारिक सत्रों को शामिल किया गया था. इसके अलावा, कार्यशाला में वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन और स्वयं सहायता समूह के निर्माण से संबंधित विभिन्न विषयों को भी शामिल किया गया है. डॉ. आर.के. मिश्रा, टीएमबीयू, भागलपुर के वैज्ञानिक, जो एनटीपीसी बाढ़ की वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन इकाई से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं, को इस कार्यशाला के लिए संसाधन व्यक्ति के रूप में बुलाया गया. इस कार्यशाला से आसपास के गांवों के 50 से अधिक किसान लाभान्वित हुए.

जैविक खेती का प्रचलन पकड़ रहा जोर

बता दें कि आज जैविक खेती का प्रचलन जोर पकड़ रहा है. जैविक उत्पाद की मांग भी बढ़ रही है. ऐसे में जैविक खाद का बिजनेस फायदेमंद साबित हो सकता है. जैविक खाद की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे तैयार करने के लिए बहुत बड़े इंफ्रास्टक्चर की जरूरत नहीं होती है. वर्मीकल्चर भी उन्ही में से एक है. इसका बिजनेस देश में काफी फायेदमंद हो सकता है. वर्तमान समय में केंचुआ पालन को वर्मीकल्चर कहते हैं और नियंत्रित अवस्था में केंचुए को पालने से खाद बनाने की विधि को वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं. केंचुआ खाद सभी आवश्यक पोधों के पोषक तत्वों से भरपूर होती है और पौधों को बेहतर वृद्धि प्रदान करती है और नई पत्तियों के विकास को प्रोत्साहित करती है और उत्पाद की गुणवत्ता और शेल्फ जीवन में सुधार करती है.

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