NTPC News बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को केंद्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की उपस्थिति में एनटीपीसी बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की युनिट-1 (660 मेगावॉट) और एनटीपीसी बरौनी थर्मल पावर स्टेशन की स्टेज-2 (250-250 मेगावॉट) के पावर स्टेशनों का लोकार्पण किया.
एनटीपीसी बाढ़ पावर प्रोजेक्ट के लोकार्पण समारोह में मुंगेर संसदीय सीट से लोकसभा सांसद राजीव रंजन विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार, बिहार विधानसभा के सदस्य ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह मौजूद थे. साथ ही बरौनी पावर प्रोजेक्ट में विधानसभा सदस्य राम रतन सिंह और राज कुमार सिंह ने अपनी उपस्थिति के साथ समारोह की शोभा बढ़ाई. वहीं, इस कार्यक्रम में भारत एवं बिहार सरकार से कई वरिष्ठ अधिकारी भी में मौजूद रहे. इस अवसर पर आलोक कुमार,सचिव (विद्युत), भारत सरकार, चंचल कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार के प्रधान सचिव, गुरदीप सिंह, अध्य्क्ष एवं प्रबंध निदेशक, एनटीपीसी, उज्ज्वल कांति भट्टाचार्य, निदेशक (परियोजनाऐं), एनटीपीसी, संजीव हंस, सचिव, ऊर्जा विभाग, बिहार, मनोज कुमार सिंह, माननीय केंद्रीय विद्युत मंत्री के निजी सचिव, प्रवक्ता, एनटीपीसी विश्वनाथ चंदन तथा एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
बाढ़ एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट के स्टेज वन में निर्मित होने वाली 660 मेगावाट की तीन इकाइयों में से पहली इकाई का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उम्मीद जतायी कि अगले साल दूसरी यूनिट का जबकि उसके अगले साल तीसरी यूनिट का शुभारंभ हो जायेगा. बाढ़ एनटीपीसी परिसर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि हमने जाकर देखा है कि 660 मेगावाट की जगह 678 मेगावाट यूनिट का उत्पादन हो रहा है, यह काफी खुशी की बात है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नयी पीढ़ी के लोगों को यह जानना चाहिए कि इसे बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ी है और किस–किस प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हुई थीं. उन्होंने कहा कि इस इलाके के लोगों ने मुझे 1989 से पांच बार सांसद बनाया है. जब तक जीवन है, हम यहां के लोगों को कभी नहीं भूलेंगे. जब तक काम करने का मौका मिलेगा, आपकी हर जरूरतों को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में शिलान्यास किये गये इस यूनिट का उद्घाटन करते हुए कितनी खुशी मिल रही है, उसका एहसास आपको भी होगा.
मुख्यमंत्री ने 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री रंगराजन कुमार मंगलम को याद करते हुए कहा कि किस तरह मंगलम ने उनके कार्य से प्रभावित होकर अपने क्षेत्र में थर्मल प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया. तत्कालीन रेल सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन ऊर्जा मंत्री को पटना से 20 से 100 किमी दूर गंगा नदी के किनारे जमीन देखने की सलाह दी. इसके बाद उनके द्वारा गठित टीम ने बाढ़ में पावर प्रोजेक्ट लगाना तय किया. 1998-99 में इस जगह का चयन हुआ. उसके बाद यहां 660 मेगावाट की तीन यूनिट लगाने का ऊर्जा विभाग ने निर्णय किया. 12 फरवरी, 1999 से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
सीएम नीतीश ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी से मिलकर यहां के कृषि फार्म की 25 एकड़ जमीन को एनटीपीसी को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया. उन्होंने 24 घंटे के अंदर जमीन को एनटीपीसी को ट्रांसफर कर दिया. छह मार्च, 1999 को बाढ़ थर्मल पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया. यह देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. शुरू में एक गांव के लोग यहां बिजली घर बनाने का विरोध कर रहे थे. सालिम अली प्राकृतिक पक्षी विज्ञान केंद्र ने भी वन एवं पर्यावरण मंत्रलय को रिपोर्ट भेज दी थी कि यहां पक्षी अभ्यारण्य है. तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री टीआर बालू से मुलाकात कर हमने कहा कि यह टाल का इलाका है और यहां 10 लाख की आबादी है. हमने एक-एक डिटेल उनके समक्ष रखा. उस डिटेल के आधार पर प्रस्ताव तैयार किया गया. तब जाकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इसकी अनुमति मिली और उसके बाद इसका टेंडर हुआ.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरू में कुछ लोगों ने अफवाह फैलायी कि पहले औरंगाबाद में बिजली घर बनाना तय हुआ था, जिसे अब बाढ़ में बनाया जा रहा है. इसके लिए हमने केंद्रीय रेल मंत्री रहते औरंगाबाद के नवीनगर में एक हजार मेगावाट यूनिट का पावर स्टेशन बनाने का निर्णय लिया था. 2012 में बिहार सरकार की तरफ से भी हमलोगों ने 660 मेगावाट की तीन यूनिट एनटीपीसी के साथ समझौता 50-50 के आधार पर कर औरंगाबाद में लगाने का निश्चय किया. हमलोगों ने बाद में बिहार सरकार की तरफ से इसे एनटीपीसी को ट्रांसफर कर दिया. बिहार में एनटीपीसी की तरफ से 7300 मेगावाट का पावर प्लांट लग गया है.
सीएम ने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार करने में लगे रहते हैं. दुष्प्रचार करने वालों से यह पूछिए कि उनके राजपाट में बिहार में बिजली की कितनी खपत थी. 2005 में मात्र 700 मेगावाट बिजली की खपत थी, जो अब 6600 मेगावाट से अधिक हो गयी है. हम लोगों ने 2018 के दिसंबर माह तक हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे दो माह पूर्व ही पूरा कर लिया गया. उन्होंने कहा कि 15 साल तक राजपाट चलाने का जिनको मौका मिला, उन लोगों ने बिहार के लिए क्या किया ? उस समय बिहार में सड़कें टूटी हुई थीं और बिजली गुल थी.
वहीं, बाढ़ एनटीपीसी में आयोजित लोकार्पण समारोह में केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि बिजली व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के बाद अब इसके आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए तीन लाख करोड़ रुपये की योजना बनायी गयी है, जिसमें से बिहार को भरपूर राशि दी जायेगी. उन्होंने कहा कि बिजली व्यवस्था को इतना आधुनिक बनाया जायेगा कि अधिक से अधिक लोग निवेश के लिए आकर्षित हो सकें.
आरके सिंह ने कहा कि फिलहाल बिहार की धरती पर कुल मिला कर करीब दस हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. मांग को देखते हुए यह क्षमता और बढ़ेगी. हम नेपाल को भी बिजली निर्यात कर रहे हैं. बिहार की क्षमता जितनी बढ़ेगी, उतने अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और निवेश होगा. उन्होंने बताया कि बक्सर में बन रहा 1320 मेगावाट पावर प्लांट भी समय से पहले पूरा हो जायेगा.
बाढ़ और बरौनी बिजली घर की स्थापना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका को अहम बताते हुए केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि उनके ही प्रयासों से इसकी स्थापना संभव हो पायी है. औरंगाबाद के नवीनगर बिजली घर के लिए भी भूमि अधिग्रहण के कठिन काम को भी उन्होंने पूरा कराया. श्री सिंह ने कहा कि भारत एकमात्र देश है जो एक ग्रिड एक फ्रिक्वेंसी पर चलती है. यह ग्रिड 1.12 लाख मेगावाट बिजली पहुंचाने की क्षमता रखती हैं. वर्ष 2014 के बाद हमने 1.58 लाख मेगावाट ऊर्जा क्षमता बढ़ायी है. पूरे देश को ए-ग्रेड बिजली व्यवस्था से जोड़ दिया है. सौभाग्य योजना से देश भर के 2.84 करोड़ घरों को विद्युतीकृत किया.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बिजली परियोजनाओं पर दो लाख दो हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं, जिसमें से दोगुनी सर्वाधिक राशि 24 हजार करोड़ रुपये सिर्फ बिहार में खर्च हो रहे हैं. इससे कुल मिला कर 500 से अधिक सब स्टेशन का निर्माण व विस्तार तथा 45 हजार से अधिक नये ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम किया गया. उन्होंने बाढ़ से अपने पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 1983-85 में जब वे पटना के डीएम थे, तब उनका यहां पर भ्रमण हुआ था. वर्तमान में बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा उस वक्त बाढ़ के एसडीओ थे. उन्होंने कहा कि तमाम बाधाओं के बावजूद एनटीपीसी की इस इकाई का चालू होने पर काफी संतोष महसूस हो रहा है.
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