देश में महिला सशक्तीकरण का अभियान लगातार चलाये जाने के बाद देश में कॉरपोरेट क्षेत्र में नेतृत्व स्तर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन निदेशक मंडल (बोर्ड) में चेयरमैन के रूप में कार्यरत महिलाओं की संख्या अब भी काफी कम है.
महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर डेलॉयट ग्लोबल की ‘निदेशक मंडल में महिलाएं’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के सातवें संस्करण में यह भी कहा गया है कि बोर्ड में कुल सीटों में महिलाओं की भागीदारी 17.1 प्रतिशत है. यह 2014 में 9.4 प्रतिशत थी. कंपनी कानून, 2013 में प्रत्येक निदेशक मंडल में कम-से-कम एक महिला के होने की अनिवार्यता के बाद उनकी भागीदारी बढ़ी है.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि निदेशक मंडल के चेयरपर्सन की बात की जाये, तो इसमें केवल 3.6 प्रतिशत ही महिलाएं ही शामिल हैं. यह 2018 के मुकाबले 0.9 प्रतिशत कम है. परामर्श और वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी डेलॉयट की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड सदस्यों में महिलाओं की भागदारी बढ़कर 17.1 प्रतिशत होने और चेयरपर्सन के स्तर पर हिस्सेदारी घटकर 3.6 प्रतिशत पर आने का मतलब है कि हालांकि निदेशक मंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है लेकिन चेयरपर्सन के पद पर उनकी भागीदारी कम हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर बोर्ड सदस्यों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2018 के मुकाबले 2.8 प्रतिशत बढ़ा है. वहीं 2016-18 के दौरान यह 1.9 प्रतिशत बढ़ा था. डेलॉयट की रिपोर्ट के अनुसार, अगर यही गति रही, तो दुनिया में बोर्ड में महिला-पुरुष समानता 2045 तक ही आ सकती है.
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, इटली, पोलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी है. डेलॉयट ग्लोबल की यह रिपोर्ट भारत समेत 72 देशों से निदेशक मंडल में महिलाओं की भागीदारी पर प्राप्त की गयी ताजा सूचना पर आधारित है.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि भारत में निदेशक मंडल की चेयरपर्सन के रूप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2021 में कम हुआ लेकिन मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के स्तर पर भागीदारी बढ़कर 4.7 प्रतिशत रही जो 2018 में 3.4 प्रतिशत थी.
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