Old Pension Scheme News: पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए और आने वाले साल में मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जहां चुनाव हुए और जहां चुनाव होने वाले हैं उनमें एक योजना का नाम जरूर लिया जा रहा है. जी हां…यह योजना है पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस). इस पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि बिना योगदान वाली या पुरानी पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ी पर ‘कर’ हैं. यानी इनका बोझ भावी पीढ़ी पर पड़ेगा.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा तनाव और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को बार-बार कम करने के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि 2023 एक मुश्किल साल होने वाला है. उन्होंने कहा कि यह बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए कि गैर योगदान वाली पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ियों पर कर का बोझ डालेंगी. बीते कुछ दशकों में बहुत ही कठिनाई के साथ जो पेंशन सुधार किये गये हैं उनसे हटकर कदम उठाते वक्त बहुत ही ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
ओपीएस के बारे में जानें
आपको बता दें कि ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी. इस योजना को तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था. नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपनी पेंशन में मूल वेतन का दस प्रतिशत योगदान देते हैं जबकि राज्य सरकार का योगदान 14 प्रतिशत होता है.
यहां लागू किया गया है ओपीएस
यहां चर्चा कर दें कि कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ओपीएस लागू करने का निर्णय ले चुके हैं, झारखंड ने भी पुरानी पेंशन योजना को अपनाने का फैसला किया है. वहीं आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने भी ओपीएस को फिर से लागू करने की हाल में मंजूरी दी है.
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