One Nation One Election: रिपोर्ट तैयार करने में रोजाना 500 भी नहीं हुआ खर्च, 7 महीने में काम खत्म
One Nation One Election: इंडिया टुडे की RTI से मिली जानकारी के अनुसार, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' रिपोर्ट पर 95,344 रुपये खर्च हुए। इसमें टेलीकम्यूनिकेशन, ऑफिस, डिजिटल उपकरण, ट्रैवल, प्रिंटिंग और प्रोफेशनल फीस शामिल हैं।
One Nation One Election: केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ रिपोर्ट तैयार करने में कुल 95,344 रुपये खर्च किए हैं, जैसा कि आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है. कानून मंत्रालय के अनुसार, रिपोर्ट तैयार करने में प्रति दिन का खर्च 491 रुपये था.
रिपोर्ट का उद्देश्य और कमेटी का गठन
इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की संभावनाओं का आकलन करना था. केंद्र सरकार का मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल सरकारी खर्च में कमी आएगी, बल्कि प्रशासनिक दक्षता और कामकाज में सुधार भी होगा. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
खर्च का विस्तृत विवरण
इंडिया टुडे द्वारा दायर आरटीआई में रिपोर्ट तैयार करने में हुए खर्च का विस्तृत विवरण मांगा गया था. सरकार द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, खर्च को कई श्रेणियों में बांटा गया है. इनमें सूचना, कंप्यूटर और टेलीकम्यूनिकेशन लागत, ऑफिस खर्च, प्रोफेशनल फीस, मशीनरी और डिजिटल उपकरणों का खर्च शामिल है. इसके अतिरिक्त ट्रैवल, प्रिंटिंग और प्रकाशन पर भी खर्च किया गया.
कमेटी के सदस्यों ने बिना फीस काम किया
कमेटी के सदस्यों ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए किसी प्रकार की फीस नहीं ली. यह कमेटी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से बनी थी. इसके प्रमुख सदस्य पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व वित्त आयोग चेयरमैन एनके सिंह, राज्यसभा के पूर्व नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप थे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. नितिन चंद्र ने सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दीं.
कम लागत में विस्तृत रिपोर्ट तैयार
यह रिपोर्ट बेहद कम लागत में तैयार की गई है, जो दर्शाती है कि कमेटी के सदस्यों ने पूरी जिम्मेदारी और समर्पण के साथ काम किया. अगर छुट्टियों और गैर-कार्यकारी दिनों को ध्यान में रखा जाए, तो प्रति दिन का खर्च थोड़ा अधिक हो सकता है.
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