OROP: ‘वन रैंक, वन पेंशन’ में संशोधन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी, जानें कब से होगा लागू और किसे मिलेगा लाभ

One Rank One Pension : इसका लाभ परिवार पेंशनधारकों के साथ युद्ध में शहीद होने वाले जवानों की विधवाओं एवं दिव्यांग पेंशनधारकों को भी मिलेगा. जानें ये कब से होगा लागू

By Amitabh Kumar | December 24, 2022 9:20 AM

One Rank One Pension : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा बलों के कर्मियों एवं परिवार पेंशनधारकों को लेकर शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. इसके लिये ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी देने का काम किया गया है. इस बाबत जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है.

एक जुलाई, 2019 से किया जाएगा लागू

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इसका लाभ परिवार पेंशनधारकों के साथ युद्ध में शहीद होने वाले जवानों की विधवाओं एवं दिव्यांग पेंशनधारकों को भी मिलेगा. उन्होंने बताया कि इसके कारण सरकारी कोष पर प्रति वर्ष 8450 करोड़ रूपये का भार पड़ेगा. ठाकुर ने कहा कि इसे एक जुलाई, 2019 से लागू किया जाएगा.

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सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इसके तहत जुलाई 2019 से जून 2022 तक की अवधि का एरियर या बकाया भी दिया जायेगा जिसके मद में 23,638.07 करोड़ रूपये की राशि बनती है. उन्होंने कहा इसका लाभ सभी रक्षा बलों से सेवानिवृत होने वाले और परिवार पेंशनधारकों को मिलेगा.

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किसे नहीं मिलेगा इसका लाभ

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिन रक्षा कार्मिकों ने 1.7.2014 के बाद अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त लिया है उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने साथ में ये भी कहा कि 1.7.2014 के बाद हुए सेवानिवृत्त हुए सुरक्षा कर्मियों को मिलाकर OROP के लाभार्थियों की संख्या 25,13,002 पर पहुंच गयी है. 1.4.2014 से पहले यह संख्या 20,60,220 थी. इससे सरकार पर अतिरिक्त भार 8,450 करोड़ रुपये का पड़ेगा.

मुफ्त अनाज को लेकर भी फैसला

इधर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त अनाज वितरित करने का शुक्रवार को फैसला किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने का फैसला किया गया. इसमें यह तय किया गया कि 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर पड़ने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी.

भाषा इनपुट के साथ

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