Onion: मानसून में भी नहीं बढ़ेगी प्याज की कीमत, सरकार कह रही ये बात
Onion: सरकार का कहना है कि रबी-2024 फसल में अनुमानित 191 लाख टन का उत्पादन हुआ है. यह हर महीने करीब 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
Onion: मानसून की बारिश में इस साल सब्जी-मांस की ग्रेवी को गाढ़ा करने वाला प्याज (Onion) महंगा नहीं होगा. सरकार को इस बात का भरोसा है कि बाजार में प्याज की सप्लाई संतोषजनक तरीके से हो रही है और कीमतें फिलहाल स्थिर है. उसे इस बात का भी भरोसा है कि गर्मी के मौसम में बोई गई प्याज की फसल की बुवाई में करीब 27 फीसदी तक बढ़ोतरी होगी, तब थोक और खुदरा बाजारों में प्याज की कीमतों में गिरावट आएगी.
बाजार में Onion की सप्लाई संतोषजनक
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से इस साल अच्छी और समय पर मानसूनी बारिश ने प्याज, टमाटर और आलू सहित बागवानी की दूसरी फसलों को बढ़ावा दिया है. कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार, प्रमुख सब्जियों में प्याज, टमाटर और आलू की खरीफ बुवाई के लिए तय किए गए रकबे में पिछले साल की तुलना में जोरदार बढ़ोतरी हुई है. बयान में कहा गया है कि पिछले साल के उत्पादन मुकाबले रबी-2024 के मौसम में प्याज के उत्पादन में मामूली कमी के बावजूद घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई संतोषजनक है.
बाजार में बेचा जा रहा है रबी फसल का Onion
आम तौर पर भारत में प्याज की फसल तीन मौसमों में काटी जाती है. इनमें जाड़ा के मौसम बोई गई रबी फसल मार्च से मई के बीच, गर्मी के मौसम में बोई गई खरीफ सितंबर-अक्टूबर में और खरीफ की पिछेती फसल जनवरी-फरवरी में काटी जाती है. एक अनुमान के अनुसार, रबी फसल का कुल उत्पादन का लगभग 70 फीसदी होता है, जबकि खरीफ और पिछेती खरीफ फसल को मिलाकर 30 फीसदी उत्पादन होता है. इस समय बाजार में प्याज की रबी-2024 की फसल बेची जा रही है, जिसकी कटाई मार्च-मई 2024 के दौरान की गई थी.
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नहीं भाग रही हैं Onion की कीमतें
सरकार का कहना है कि रबी-2024 फसल में अनुमानित 191 लाख टन का उत्पादन हुआ है, जो हर महीने करीब 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. भारत से हर महीने प्याज का निर्यात 1 लाख टन का अनुमान लगाया गया है. मंत्रालय ने कहा कि प्याज की कीमतें स्थिर हो रही हैं, क्योंकि बाजार में रबी प्याज की आवक बढ़ रही है. मानसूनी बारिश शुरू हो रही है, जिससे उच्च वायुमंडलीय नमी के कारण भंडारण नुकसान की संभावना बढ़ जाती है. इससे किसान बाजार में फसल ला रहे हैं.
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