मिडिल क्लास को मिली बड़ी राहत, इस त्योहारी सीजन में महंगा नहीं होगा प्याज, जानें केंद्र सरकार की बड़ी तैयारी

Onion Buffer Stock: उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) एक साथ मिलकर प्याज को ज्यादा समय तक खराब होने से बचाने के लिए काम कर रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2023 5:27 PM

Onion Buffer Stock: मध्यवर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. इस बार त्योहारी सीजन प्लाज की वजह से खाने का जायका खराब नहीं होगा. केंद्र सरकार के द्वारा चालू वित्त वर्ष में बफर स्टॉक के लिए 20 प्रतिशत ज्यादा प्याज स्टॉक किया गया है. सरकार ने इस वर्ष तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक किया गया है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) एक साथ मिलकर प्याज को ज्यादा समय तक खराब होने से बचाने के लिए काम कर रही है. उन्होंने बताया कि 2022-23 में सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 2.51 लाख टन प्याज रखा था. सरकार के द्वारा रखे गए बफर स्टॉक कम आपूर्ति वाले समय में प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड के तहत काम करता है.

खरीफ फसल के आने तक रहता है दवाब

सचिव रोहित सिंह ने बताया कि त्योहारी सीजन में लोगों को महंगे प्याज के कारण परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा इस वर्ष बफर स्टॉक में भारी बढ़ोतरी की गयी है. सरकार ने तीन लाख टन प्याज स्टॉक किया है. प्याज की कोई कमी नहीं है. बफर स्टॉक के लिए खरीदा गया प्याज हाल ही में समाप्त हुए रबी सीजन का है. फिलहाल, खरीफ के प्याज की बुवाई चल रही है और अक्टूबर में इसकी आवक शुरू हो जाती है. सचिव ने कहा, आमतौर पर, खुदरा बाजार में प्याज की कीमत 20 दिन के लिए या खरीफ फसल के बाजार में आने तक दबाव में रहती हैं. लेकिन इस बार ऐसी कोई समस्या नहीं होगी. मांग और स्टॉक के हिसाब से प्याज सरकार के द्वारा धीरे-धीरे बाजार में छोड़ा जाएगा.

कोबाल्ट-60 से संरक्षित होगा प्याज

उपभोक्ता मामलों का मंत्रायल और बार्क प्याज को लेकर परीक्षण कर रहा है. सचिव रोहित सिंह ने बताया कि इसके लिए प्रयोग के तौर पर महाराष्ट्र के लासलगांव में कोबाल्ट-60 से गामा विकिरण के जरिये 150 टन प्याज संरक्षण का प्रयोग कर रहे हैं. नये प्रयोग से प्याज को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखा जाएगा. झारखंड की राजधानी रांची स्थित पंडरा बाजार समिति में प्याज के थोक व्यापारी मदन बताते हैं कि अगस्त से लेकर अक्टूबर के आखिरी हफ्ते तक प्याज की मांग ज्यादा होती है. मगर, सप्लाई कम हो जाती है. इसका कारण बोआई और प्याज के खराब होने के कारण बाजार में कमी है. इस बीच 25 से 30 रुपये किलो बिकने वाला प्याज 50 से 60 रुपये किलो या उससे भी ज्यादा पहुंच जाता है.

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नवंबर में आती है नयी फसल

रांची के पंडरा बाजार समिति के व्यापारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गंगा के मैदानी इलाकों में बंगाल और झारखंड से सबसे पहले प्याज की आपूर्ति शुरू होती है. इसके बाद, लोकल प्याज बाजार में आती है. इस बीच प्याज की कमी के कारण व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. आवक कम होने से दाम बढ़ जाते हैं. ऐसे में ग्राहकों की संख्या कम हो जाती है. इस बीच अगर प्याद की फसल निकलने के वक्त बारिश हो जाती है तो फिर आवक में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसका सीधा असर बाजार पर पड़ता है.

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लोकल किसानों के लिए बने कोल्ड स्टोरेज

बिरसा कृषि विवि के सेवानिवृत डीन एग्रीक्लचर और एग्रोनॉमिस्ट डॉ एमएस यादव बताते हैं कि महंगी प्याज की समस्या हर वर्ष लोगों को झेलनी पड़ती है. इसके लिए सबसे बेहतर उपाय है कि हम लोकल प्याज की फसल का उत्पादन को कम से कम दोगुना बढ़ाएं. इसके साथ ही, ज्यादा से ज्यादा समय तक फसल को संरक्षित रखें. इसके लिए किसानों को उन्नत किस्म की बीज के साथ खाद आदि उपलब्ध कराना होगा. वहीं, प्याज के स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी. जैसा की आज उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) एक साथ मिलकर प्याज को ज्यादा समय तक खराब होने से बचाने के लिए काम कर रही है. ऐसा अगर होता है तो भविष्य में प्याज की कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद है.

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