Online Gaming Industry के निवेशकों की मोदी से गुहार, कहा – डूब जाएंगे 2.5 अरब डॉलर, जानें कारण
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत टैक्स लगाने के फैसले के बाद देश-विदेश के 30 ऑनलाइन गेमिंग में निवेशकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त पत्र लिखा है और गुहार लगाई है. पढ़े पूरा मामला विस्तार से...
Online Gaming GST Tax : ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत टैक्स लगाने के फैसले के बाद देश-विदेश के 30 ऑनलाइन गेमिंग में निवेशकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा है कि जीएसटी परिषद के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर 28 फीसदी कर लगाने के फैसले से ऑनलाइन गेमिंग में निवेशकों के 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर डूब जाएंगे. शुक्रवार को यह पत्र लिखा गया है.
जीएसटी परिषद के फैसले पर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का आग्रह
पीक एक्सवी कैपिटल, टाइगर ग्लोबल, डीएसटी ग्लोबल, बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड, अल्फा वेव ग्लोबल, क्रिस कैपिटल, लुमिकाई सहित प्रमुख निवेशकों ने 21 जुलाई को लिखे एक पत्र में जीएसटी परिषद के फैसले पर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का आग्रह भी किया है. साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग में निवेश अगले 3-4 वर्षों में चार अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने से यह बुरी तरह प्रभावित होगा.
निवेशकों ने कहा, ‘जीएसटी परिषद के फैसले से उन्हें झटका लगा’
साथ ही इसमें कहा गया है, ”पूरी दुनिया की तुलना में मौजूदा जीएसटी प्रस्ताव गेमिंग क्षेत्र के लिए सबसे कठिन कर व्यवस्था लागू करेगा, जिससे इस क्षेत्र में निवेश की गई 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी के डूबने का खतरा बन गया है.” निवेशकों ने कहा कि जीएसटी परिषद के फैसले से उन्हें झटका लगा है और निराशा हुई है. इससे भारतीय तकनीकी परिवेश या किसी अन्य उभरते क्षेत्र को लेकर भरोसा काफी हद तक कम हो जाएगा.
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‘चार अरब अमेरिकी डॉलर के संभावित निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव’
पत्र में यह भी कहा गया है कि इस फैसले से अगले 3-4 साल में कम से कम चार अरब अमेरिकी डॉलर के संभावित निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.” निवेशकों ने कहा कि अगर ‘दांव की पूरी राशि’ पर जीएसटी लगाया जाता है, तो जीएसटी का बोझ 1,100 प्रतिशत बढ़ जाएगा. इसके अलावा जीतने वाले खिलाड़ी पर कराधान के कारण एक ही राशि पर बार-बार कर लगाया जाएगा, जिसके चलते ऐसी स्थिति पैदा होगी, जहां प्रत्येक रुपये का 50-70 प्रतिशत से अधिक राशि जीएसटी में चली जाएगी.
सरकारी खजाने को सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व
बता दें कि बीते दिनों राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा था कि जीएसटी परिषद के ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने के फैसले से सरकारी खजाने को सालाना अनुमानत: 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा. जीएसटी परिषद ने 11 जुलाई को सर्वसम्मति से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने का फैसला किया है. संजय मल्होत्रा ने कहा कि सरकार पूर्व की कर मांगों में वसूली के लिए सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय में आगे बढ़ाएगी.
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फिलहाल सिर्फ 2-3 प्रतिशत GST का भुगतान कर रहा है ऑनलाइन गेमिंग उद्योग
राजस्व सचिव ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग फिलहाल सिर्फ 2-3 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहा है, जो कि खानपान की वस्तुओं पर लगने वाले पांच प्रतिशत जीएसटी से भी कम है, जिसका उपभोग आम आदमी करता है. मल्होत्रा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा था जीएसटी परिषद के एक सदस्य ने तो यह कहा कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 18 प्रतिशत सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) की दर से कर चुका रही हैं, जो सिर्फ 2-3 प्रतिशत जीएसटी बैठता है.”
बीते वित्त वर्ष में सिर्फ 1,700 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला
बीते वित्त वर्ष में सरकार को इस तरह के कारोबार पर टैक्स से सिर्फ 1,700 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला. अगर पूर्ण मूल्य पर कर लगाया जाता, तो यह कर वसूली करीब 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये बैठती. उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर कर काफी कम दर पर है जिसका भुगतान ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां कर रही हैं. हमारा अनुमान है कि यह राशि इसकी आठ से 10 गुना होनी चाहिए. यदि मात्रा बरकरार रहती है, तो हम इससे सालाना 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं.’
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