नई दिल्ली : ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए एक बड़ी और महत्वपूर्ण खबर है. वह यह कि अब उन्हें आरटीजीएस और एनईएफटी करने के लिए बैंकों की जरूरत नहीं पड़ेगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को कहा है कि नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) सुविधाओं को गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए बढ़ाया जाएगा.
बता दें कि इस समय केवल बैंकों को RTGS और NEFT भुगतान सुविधाओं के इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है. आरबीआई की घोषणा के साथ इन मनी ट्रांसफर सिस्टम को प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) जारी करने वालों, कार्ड नेटवर्क, व्हाइट-लेबल एटीएम ऑपरेटरों और ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TRDS) प्लेटफार्मों तक बढ़ाया जाएगा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि आरटीजीएस और एनईएफटी की सुविधा अब नॉन बैंकिग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे. आरटीजीएस और एनईएफटी एक केंद्रीय भुगतान प्रणाली है, लेकिन अब गैर-बैंक भुगतान प्रणाली के तहत भी लोगों को यह सुविधा दी जा सकेगी. यह प्रीपेड पेमेंट इस्ट्रूमेंट, कार्ड नेटवर्क्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स, आदि तक बढ़ाई जा चुकी है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि गैर-बैंक सिस्टम में इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय प्रणाली में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी. इससे पहले 6 जून 2019 को रिजर्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी को फ्री कर दिया था. यह सुविधा फिलहाल सभी बैंकों में 24 घंटे उपलब्ध है.
एक अन्य बयान में केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसका उद्देश्य भुगतान प्रणालियों में गैर-बैंकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है. उसने कहा कि इस प्रवृत्ति को मजबूत करने और भुगतान प्रणाली में गैर-बैंकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित केंद्रीय भुगतान प्रणाली में प्रत्यक्ष सदस्यता लेने का प्रस्ताव है.
आरबीआई ने आगे कहा कि इस सुविधा से वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम को कम करने और सभी उपयोगकर्ता क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की उम्मीद है. हालांकि, ये संस्थाएं इन सीपीएस में अपने लेन-देन के निपटान की सुविधा के लिए रिजर्व बैंक की किसी भी तरलता सुविधा के लिए पात्र नहीं होंगी. इसके लिए आवश्यक दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे.
उधर, विशेषज्ञों का मानना है कि एनईएफटी और आरटीजीएस भुगतान सेवाओं के विस्तार के आरबीआई के प्रस्ताव से डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा. बता दें कि केंद्रीय बैंक ने भी प्रति ग्राहक बैलेंस की अधिकतम सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया है.
आरटीजीएस का मतलब रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम है. रियल टाइम का अर्थ तुरंत हैं. इसका मतलब यह हुआ कि आपके द्वारा पैसा ट्रांसफर करते ही वह पैसा दूसरे के खाते में उसी समय पहुंच जाए. आरटीजीएस के जरिए जब आप लेनदेन करते हैं, तो दूसरे खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर हो जाता है.
एनईएफटी का मतलब नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर है. इंटरनेट के जरिए दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है. इसके जरिए किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है.
Posted by : Vishwat Sen
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