डिजिटल पेमेंट से जुड़ी सुरक्षा और साइबर फ्रॉड के खतरे को ध्यान रखते हुए आरबीआई ने बड़ा फैसला लिया है. पेमेंट करते वक्त आपको 16 अंकों का पूरा कोड देना पड़ सकता है. एक तरफ सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है दूसरी तरफ सख्त होते नियम व्यापारी और ग्राहकों के लिए नयी परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
आरबीआई ने चिंता जाहिर की है ग्राहकों का डाटा और जानकारी सुरक्षित रखनी जरूरी है. इससे साइबर फ्रॉड का खतरा बढ़ सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) भारत के भुगतान गेटवे की मांग को स्वीकार करने के खिलाफ है. भारतीय डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह एक झटका है.
इस नियम के तहत व्यापारियों को कार्ड विवरण और भुगतान ऑपरेटरों को उपभोक्ताओं को एक-क्लिक चेकआउट सेवा प्रदान करने से प्रतिबंधित करने के लिए निर्धारित हैं. नये मानदंडों के हिसाब अब ऑनलाइन भुगतान के लिए हर बार ग्राहकों को अपने 16 अंकों के कार्ड नंबर को दर्ज करना पड़ सकता है.
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नये पेमेंट एग्रीगेटर/पेमेंट गेटवे (पीए/पीजी) नियम ग्राहकों के लिए हर ऑनलाइन मर्चेंट प्रोसेसिंग ट्रांजैक्शन को अनिवार्य करेंगे. इसके बाद पूरी कार्ड फाइल के बजाय केवल उपभोक्ता के कार्ड से जुड़ी ‘टोकनाइज्ड’ कुंजी तक ही पहुंच होगी.
नये नियम जनवरी 2022 में लागू होंगे. आरबीआई ने पहले इन मानदंडों के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया था क्योंकि अधिकांश बैंक इस साल तैयार नहीं थे. अब अगले साल तक इन्हें तैयारी का मौका दिया गया है.
मार्च 2020 में ही पेमेंट के वक्त व्यापारियों को अपने सर्वर पर “ग्राहक कार्ड और संबंधित डेटा” संग्रहीत करने से रोक लगा दिया था. नये नियम ऑटो चेकआउट के लिए अधिकृत ऑपरेटरों द्वारा भी इस डेटा के उपयोग को प्रतिबंधित करेंगे.
नये नियमों के अनुसार अमेज़ॅन, माइक्रोसॉफ्ट, नेटफ्लिक्स, फ्लिपकार्ट और ज़ोमैटो जैसे शीर्ष व्यापारियों की मांगों को खारिज कर दिया. इस पूरे मामले पर अब आरबीआई ने नये नियमों को ही तवज्जो दी ही. वर्तमान प्रणाली को असुरक्षित और साइबर जोखिम के अधीन माना गया है. सारी जानकारी व्यापारियों के पास है.
इस नयी सुविधा से आपका डाटा और जानकारी जरूर सुरक्षित रह सकती है लेकिन इससे ग्राहकों को भी असुविधा का सामाना करना पड़ सकता है. इसके साथ- साथ व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.व्यापारियों को बिलिंग के वक्त कार्ड की जानकारी मांगनी होगी.
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